SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति प्राचीन-पाचीन-पाईण, पुष्प-पुप्फ, पुरुष-पुरुस-पुरिस, कृण-कुण, द्वादश-द्वादस-दुवालस-बारस, चक्र-चक्क, सप्त-सत्त, वधू-वहू वगेरे. करेलो होय वा संस्कृतशब्दमां अमुक फेरफार करीने जे शब्द सधातो होय ते बन्ने प्रकारना शब्दो तद्भव कहेवाय.” ___ आदेशरूप-हे? “ अधसो हे;" ८।२।१४१॥ दाढा “ दंष्ट्राया दाढा" ८।२।१४० । पुरिम "पूर्वस्य पुरिमः” ८।२।१३५ । वगेरे. एवा आदेशो माटे ८।२।१२५ सूत्रथी जोवू. थोडा फेरफारवाळा-हत्थी-हस्ती. मंत-मन्त्र. भत्त-भक्त. आवा अनेक शब्दो तो ऊपर सूचवेला ज छे. हेमचंद्रना कहेवा प्रमाणे तत्सम, तद्भव अने देश्य एम त्रण प्रकारचें प्राकृत छे. चंडनो अभिप्राय पण ए ज प्रकारनो छे. तेणे ए माटे 'संस्कृतयोनि' 'संस्कृतसम' अने 'देशी' एवा शब्दो वापर्या छे.. आ संबंधे मारो नम्र मत एवो छ के प्राकृतभाषाओ माटे 'संस्कृतयोनि' के 'तद्भव' शब्दो ज्यारथी प्रचारमा आव्या त्यारथी एक एवो गोटाळो ऊभो थयो छे के प्राकृतभाषाओनी जननी संस्कृत भाषा छे अने ए गोटाळो आज सुधी पण प्रचलित छे. मारा भाषणमां (पृ. ४९) 'संस्कृत द्वारा प्राकृत भाषा आवी छे' ए मतनोप्रतिवाद में घणी युक्तिओ आपीने करेलो छे. ते संबंधे भाषातत्त्वविचारको जरूर लक्ष्य करशे. 'प्राकृत' शब्दनो अर्थ ज‘स्वाभाविक' छे एटले जे भाषा स्वाभाविक-जन्मसिद्धहोय-जेने बोलवा माटे अध्ययनादिप्रवृत्तिनी जरूर ज न होय. तेवी लोकभाषाओनो प्राकृतभाषाओमा समावेश छ अर्थात् प्राकृत शब्दनो अर्थ ज ए हकीकतने सिद्ध करवाने पूरतो छ के ते संस्कृतजन्य नथी किंतु स्वाभाविक छे. आम छे त्यारे प्राचीन वैयाकरणोए प्राकृत माटे 'संस्कृतयोनि' के 'तद्भव' शब्द वापर्या छे ते शुं तद्दन खोटा छे ? आ प्रश्र्नु समाधान पण भाषणोमां (पृ० ७६) आवी गयुं छे, एथी अहीं पुनरुक्ति नथी करतो. परंतु खास बात तो ए कहेवानी छे के, प्राकृतना 'संस्कृतयोनि' 'तत्सम' अने 'देश्य' एवा त्रण प्रकार कहेवानी जरूर ज नथी. तेने बदले “ तत्सम' 'देश्य' एवा बे ज प्रकार बताववा उचित छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy