SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४७ पाप परायण माणसनी पासे जो कोई चमत्कारी शक्ति आवी जाय तो पछी शुं कहेवू ? अर्थात् एवा माणसथी तो सौ कोई भय खाई जाय एटले तेने तो कोई कशु ज कहीं न शके. ४.. जेम राहुथी छूटो थयेलो चन्द्र शोभे छे तेम ते गोशाळा वगरना एकला मोह विनाना भगवान पण अधिक शोभावाळा थईने पृथ्वी उपर विहार करवा लाग्या. ५. आ प्रमाणे अनुपम संजमनो घणो मोटो भार वहेवामां एकअसाधारण-धीर धवल-गोपुंगव जेवा अने जगतना गुरु एवा भगवान वीरना त्रण जगतमां प्रसिद्धि पामेला चरित्र संबन्ध-६. बहु अनर्थ-हानि-दुःखो उपजावनार अने विनय विनाना गोशालकनी कथा साथे संबन्ध धरावनार आ छट्ठो प्रस्ताव सविस्तर पूरो थाय छे. ७ आ प्रमाणे गोशालकनी दुविनयवाळी कथा साथे संबन्ध धरावनार छठो प्रस्ताव समाप्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy