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________________ १३९ वळी हे विधाता ! तेमांय आटलं ज करीने न अटक्यो पण मारा छोकराना सहवासमां पण तें मने धकेली दीधी. हाय ! हाय ! आ तो भारे अकारज थयु. आवो घटना तो क्यांय शास्त्रोमां पण संभळाती नथी. ३ __ जो मने पहेलां चोरोए पकडी त्यारे ज मारी नाखी होत तो शुं आ आQ असत्य छतां छुपाववा जेवू मारे आजे जोवू पडत ? ४ हवे शुं हुं मारो जातने कूचे पडीने छोडो दउं-मरी फीटुं अथवा वृक्ष उपर लटकीने गळे फांसी खाईने छोडी दउं ? चालता श्वासने अटकावीने जलदी छोड़ी दउं ? ५ आ रीतना मेरुपर्वत जेवा अतिशय भारे आ दुःखमांथी मुज पापणीनो हवे खरेखर हमणां बचाव थशे खरो ? ६ आ प्रमाणे असह्य दुःखरूप करवतथी ऊंडी वेराती-कपाती मनोवृत्तिवाळी ते घगा वखत सुधी रोक्कल-विलाप करीने आंखो मींचीने मूर्छामां पडी. ७ पोतानी माताने आ रीते मूर्छित थयेली जोईने वेसियायणे तेणीना उपर ठंडं पाणी छांटचं, कपडाना छेडावडे पवन नाल्यो अने पासे रहेलो दासीओ द्वारा तेना हाथ पग शरीर बधुं चंपाव्यु. आम केमे करीने तेणी भानमा आवी एटले वेसियायणे तेणीने कह्यु के-हे माता ! हवे शा माटे दुःखनो भार धारण करे छे ? आमां तारो शो अपराध छे-दोष छे ? आ विधाता ज एवो छे के जेओ स्वच्छन्दे जोडायेलां नयी तेमने जोडे छे अने जोडायेलाने विखूटां पाडे छे अने एम करवामां ज तेने रस पडे छे. खरी रीते तो अहीं ए विधातानो ज Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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