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________________ १३४ एम विचार करीने वेसियायणे पग शणगार सज्यो, उत्तम कपडां पहेा. जोणु-नाटक-नाच जोवा गयो. त्यां ए टोळामां घणी वेश्याओ आवेली. तेमां तेनी ते ज पूर्वमाता-पहेलांनी माता-तेना जोवामां [पृ०८३]आवी. तेने जोईने वेसियायणनो तेना उपर अनुराग थयो. तेना शरीरमा कामदेव पांच बाणवाळो छतांय केम जाणे हजार बाणवाळो होय ए रीते उद्भव्यो. तांबूल देवा साथे तेने घरेणुं आप्यु. शरीर उपर धनसार मिश्रित चन्दनरसनो लेप करी केशपाशमां फूलनी माळा पहेरी हाथमां तांबूल- बीडुं राखी रातने वखते ते वेसियायण पेलीना घर तरफ उपड्यो. आ वखते वेसियायणनी कुळदेवीए विचार कर्यो केअहो! खरी हकीकतने नहीं जाणतो आ विचारो अकाज करवा तरफ वळ्यो छे माटे तेने साची वातनी समज पाडु, एम विचारीने तेणी (कुलदेवी) रस्ता वच्चे ज वाछडा साथे गायन रूप धरीने-बनावीने ते बेटी. हवे पेली वेश्याने त्यां उतावळे उतावळे जता वेसियायणनो पग गन्दी वस्तुमां पडयो अने बगडयो. तेने शंका थइ के मारो पग जरूर गन्दी वस्तुमां पड़वाथी बगडयो छे. त्यां पगने साफ करवा माटे तेने बीजं तो कांई मळ्यु नहों तेथी तेणे ते गन्दा पगने ते गायनी पासे ज बेठेला वाछडानी पीठ साथे लछवा मांडयो के तरत ज मनुष्यनी भाषामां ते वाछडो गायने कहेवा लान्यो-हे माता! आने जो तो खरी ? ए केवो कशी शंका राख्या वगर मारा शरीर उपर--१ गन्दकीथी खरडायेला पोताना पगने लूछे छे. पण पोते धर्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ww
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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