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________________ पणतीसइमं सयं पढमो उद्देसो । १. प्र०] कह णं भंते ! महाजुम्मा पन्नत्ता ? [उ०] गोयमा ! सोलस महाजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मकडजुम्मे १, कडजुम्मतेओगे २, कडजुम्मदावरजुम्मे ३, कडजुम्मकलियोगे ४, तेओगकडजुम्मे ५, तेओगतेओगे ६, तेओगदावरजुम्मे ७, तेभोगकलिओए ८, दावरजुम्मकडजुम्मे ९, दावरजुम्मतेओए १०, दावरजुम्मदावरजुम्मे ११, दावरजुम्मकलियोगे १२, कलिओगकडजुम्मे १३, कलियोगतेओगे १४, कलियोगदावरजुम्मे १५, कलियोगकलिओगे १६।। २. [प्र०] से कणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'सोलस महाजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मकडजुम्मे, जाव-कलियोगकलियोगे' ? [उ०] गोयमा ! जे णं रासी चउक्करणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया ते वि कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मकडजुम्मे १ । जे गं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपजवसिए, जे गं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मतेयोए २ । जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मदावरजुम्मे ३ । जे गं रासी चउकएणं अवहारेणं पांत्रीशमुं शतक प्रथम उद्देशक. महायुग्मना प्रकार. १. [प्र०] हे भगवन् ! केटलां महायुग्मो-महाराशिओ कयां छे ! [उ०] हे गौतम | सोळ महायुग्मो कहाँ छे. ते आ प्रमाणे १ कृतयुग्मकृतयुग्म, २ कृतयुग्मत्र्योज, ३ कृतयुग्मद्वापरयुग्म, ४ कृतयुग्मकल्योज, ५ त्र्योजकृतयुग्म, ६ योजत्र्योज, ७ योजद्वापरयुग्म, ८ व्योजकल्योज, ९ द्वापरयुग्मकृतयुग्म, १० द्वापरयुग्मत्र्योज, ११ द्वापरयुग्मद्वापरयुग्म, १२ द्वापरयुग्मकल्योज, १३ कल्योजकृतयुग्म, १४ कल्योजत्र्योज, १५ कल्योजद्वापरयुग्म, १६ कल्योजकल्योज. सोळ महायुग्म २. [प्र०] हे भगवन् ! शा हेतुथी आप एम कहो छो के कृतयुग्मकृतयुग्मथी मांडी कल्योजकल्योज सुधी सोळ महायुग्मो कहेवार्नु कारण. कयां छे ? [उ०] हे गौतम ! जे राशिने चार संख्याना अपहारथी अपहारतां चार बाकी रहे, अने ते राशिना अपहारसमयो पण कृतयुग्म होय तो ते (राशि) कृतयुग्मकृतयुग्म कहेवाय १. जे राशिने चार संख्याना अपहारथी अपहारता त्रण बाकी रहे अने ते राशिना अपहारसमयो पण कृतयुग्म होय तो ते राशि कृतयुग्मत्र्योज कहेवाय २. जे राशिने चार संख्याना अपहारथी अपहारतां बे बाकी रहे अने ते राशिना अपहारसमयो कृतयुग्म होय तो ते कृतयुग्मद्वापरयुग्म कहेवाय ३. जे राशिने चार संख्याना अपहारथी अपहारतां एक बाकी रहे अने ते राशिना अपहारसमयो कृतयुग्म होय तो ते कृतयुग्मकल्योज कहेवाय ४. जे राशिने चार संख्याना अपहारथी अपहारतां चार बाकी रहे अने ते राशिना अपहारसमयो त्र्योज होय तो ते त्र्योजकृतयुग्म कहेवाय ५. जे राशिने चार . १ युग्म-राशिविशेष, ते राशिओ क्षुल्लक-क्षुद्र पण होय अने मोटा पण होय, तेमां पूर्व क्षुल्लक राशिनी प्ररूपणा करी, हवे अहीं महायुग्म-मोटा राशिओनी प्ररूपणा करवानी छे. जे राशिने प्रतिसमय चार चारना अपहारथी अपहरता छेवटे चार बाकी रहे अने अपहारसमयोने पण चार चारना अप- हारथी अपहरतां चार समयो बाकी रहे ते 'कृतयुग्मकृतयुग्म' कहेवाय छे. कारण के अपहरण कराता द्रव्य भने समयनी अपेक्षाए बने रीते ते कृतयुग्मरूप छे. ए प्रमाणे अन्य राशिसंबंधे पण जाणवू. जेमके सोळ संख्या जघन्य कृतयुग्मकृतयुग्मराशि रूप छे, तेने चारनी संख्याथी अपहरता छेवटे चार वघे छे भने अपहार समयो पण चार छे. जेमके जघन्यथी ओगणीशनी संख्याने प्रतिसमय चारथी अपहरता छेवटे त्रण बाकी रहे अने अपहारसमयो चार होय तो ते अपहराता द्रव्यनी अपेक्षाए श्योज अने अपहारसमयनी अपेक्षाए कृतयुग्म एटले ते राशि कृतयुग्मत्र्योज कहेवाय छे. अहीं बधे अपहारक समयनी अपेक्षाए आद्य पद छे अने अपहराता द्रव्यनी अपेक्षाए पीजुं पद छे..ते राशिनी जघन्य संख्या अनुक्रमे नीचे प्रमाणे छे--(१) १६, (२) १९, (१) १८, (४) १५, (५) १२, (6) १५, (७) १४, (८) १३, (१)(१०)११, (११) १०, (१२), (१३)४, (१४) ७, (१५), (१६) ५. Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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