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________________ छ प्रदेशिक स्कन्धना ४१४ भांगा. सात प्रदेशिक स्क न्धना वर्णादिना भांगाओ. १०६ श्रीरायचन्द्र - जिनागमसंग्रहे शतक प्रदेश ५. सुलिगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुकिल्लए य ३, सिय कालए य नीलए य लोद्दियगा य हालिहर य सुकितर व ४, सिय कालए य नीलगाय लोहिया व हालिद्दर व सुकिलर यं ५, सिय कालगा व नीलए य लोहिया व हालिद्दर व सुपि य ६ एवं एए उम्मंगा भाणियचा, एवमेते सधे वि एकग- दुयग- लिपग-धडकणपंचगसंजोगे छासी भंगसर्व भयंति गंधा जहा पंचपरसियरस रसा जदा एयरसेव पद्मा फासा जहा चउप्परसियस्स । I ७. [ प्र० ] सत्तपए सिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने० ? [अ०] जहा पंचपरसिए जाव - 'सिय चउफासे' पन्नत्ते । जइ एगघने एवं एगवन्नदुवण्णतिवन्ना जहा छप्परसियस्स । जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिइए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिइगा य २, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिइए य ३, एवमेते चउफगसंजोगेणं पारस भंगा भाषिषता जाव - सिय कालगा य नीलगा व लोहियना व हालिद व १५ । एवमेते पंचचसंजोगा नेवा, एकेके संजोए पनरस भंगा, सद्यमेते पंचसप्तरि मंगा भयंति जद पंचयने सिय कालयील लोहियय हालिए य सुकिल्लए य १, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दर ये सुकिल्लागा य २, सिय कालप य नीलप य लोहियए य हालिगा य सुकिल्लए य ३, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिहगा य सुकिल्लगा य ४, सिय काल य नीलए य लोहियगा य हालिइए य सुक्किलए य ५, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य सुकिलगाय ६, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिगा य सुकिल्लए य ७, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिद्दर य सुकिल्लए य ८, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दर य सुक्किलगा य ९, सिय कालए य नीलगा लोहियने वालिदा य सुकिलर य १० सिय काल व नीलगाय लोहिया व हालिद्दर व सुपि य ११, सिय सुकिल्लए कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिए य सुकिल्लए य १२, सिय कालगा य नीलए य लोहियगे य हालिद्दर य सुकिलगाय १३, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य सुकिल्लए य १४, सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य अनेक देशो काव्य, एक देश लीलो, रातो, पीळो, अने धोलो होय. ए प्रमाणे छ भांगा समजवा. ए प्रमाणे [ असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतुः संयोगी ५५ अने पंचसंयोगी ६- सर्व मळीने वर्णने आश्रयी ] १८६ भांगा याय छे. गंध संबंचे पंचप्रदेशिकनी पेठे ६ भांगा जाणवा, रसो वर्णोनी पेठे जाणवा. अने स्पर्शना चतुष्प्रदेशिक स्कंधनी पेठे भांगा जाणवा. [ए प्रमाणे छ प्रदेशिक स्कंधने आश्रयी वर्णना १८६, गंधना ६, रसना १८६, अने स्पर्शना ३६ मळी कुल ४१४ भांगाओ थाय छे. ] ७. [प्र० ] हे भगवन् ! सात प्रदेशवाळो स्कंध केटला वर्णवाळो होय ? - इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम! जेम पंचप्रदेशिक स्कंध संबंधे कह्युं म अहिं पण कहेवुं यावत् - 'कदाच चार स्पर्शवाळो होय.' जो ते एक वर्णवाळो - इत्यादि होय तो एक वर्ण, बे वर्ण अने त्रण वर्णना भांगा छ प्रदेशिक स्कंधनी पेठे जाणवा. हवे जो ते कदाच चार वर्णवाळो होय तो (१) कदाच एक देश काळो, लीलो, रातो अने पीळ होय. १, कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, एक देश रातो अने अनेक देशो पीळा होय २, कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, अनेक देशो राता अने एक देश पीळो होय ३, [ कदाच एक देश काळो, अनेक देशो लीला, एक देश रातो अने एक देश पीछे होय ४] ए प्रमाणे आ चतुष्यसंयोगमां पंदर मांगा का यावत् १५ कदाच अनेक देशो काळा अनेक देशोसी, अनेक देशो राता भने एक देश पीळो होय. ए प्रमाणे पांच चतुष्कसंयोग जाणया. एक एक चतुष्कसंयोगमा पंदर पंदर भांगाओ थाय छे. मधा महीने पंचोतेर मांगा थाय छे. जो से पांचवर्णवाल होय तो (१) बादाच एक देश कालो, लीलो, रातो पीठो अने पो होय २, कदाच एक देश कालो, सीटो, रातो, पीळो अने अनेक देशो धोव्य दोष २, कदाच एक देश कालो, एक देश लीलो, एक देश रातो, अनेक देशो पीळा भने एक देश धोळो होय ३, कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, एक देश रातो, अनेक देशो पीया अने अनेक देशो चोळा होय ४, कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, अनेक देशो राता, एक देश पीळो अने एक देश धोटो होय ५. अथवा एक देश कालो, एक देश लीलो, अनेक देशो राता, एक देश पीछे अने अनेक देशो धोळा होय ६, कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, अनेक देशो राता, अनेक देशो पीळा अने एक देश धोटो होय ७, कदाच एक देश काळो, अनेक देशो लीला, एक देश रातो, एक देश पीटो अने एक देश धोळो होय ८, कदाच एक देश काळो, अनेक देशो लीला, एक देश रातो, पीळो अने अनेक देशो धोळा होय ९, कदाच एक देश काळो, अनेक देशो लीला, एक देश रातो, अनेक देशो पीळा अने एक देश घोळ होय १०, कदाच एक देश को अनेक देशो सीला, राता, एक देश पीटो अने पोलो होय ११, कदाच अनेक देशो का एक देश को, रातो, पीळो अने धोको होप १२, कदाच अनेक देशो काळा, एक देश लीलो, रातो, पीळो अने अनेक देशो धोळा होय १३, कदाच अनेक देशो काळा, एक देश लीलो, रातो, अनेक देशो पीळा अने एक देश धोळो होय १४, कदाच अनेक देशो काळा, एक देश लीलो, अनेक देशो राता, एक देश पीळो अने धोळो होय १५, तथा कदाच अनेक देशो काळा, लीला, एक देश रातो, पीळो अने घोळो होय १६. ए प्रमाणे सोळ भांगाओ थाय छे. असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतुष्कसंयोगी ७५ अने पंचसंयोगी १६ सोळ. बघा मळीने वर्णने आश्रयी बसो ने सोळ भांगा थाय छे. गंध संबंधे चतुष्प्रदेशिक स्कंधनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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