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________________ 'श्रारायचन्द्र-जनागमसग्रह 'शतक ८-उद्दशकट १४. [प्र०] तं भंते ! किं साइयं सपजवसियं बंधइ, साइयं अपजवसियं बंधइ, अणाइयं सपजवसियं बंधइ, अणाइयं अपजवसियं बंधा ? [उ०] गोयमा! साइयं सपजवसियं बंधइ, नो साइयं अपजवसियं बंधह, नो अणाइयं सपज्जवसियं बंधइ, नो अणाइअं अपजवसियं बंधइ । १५. [प्र०] तं भंते ! किं देसेणं देस बंधइ, देसेणं सच्चं बंधइ, सघेणं देसं बंधइ, सवेणं सचं बंधइ ? [उ०] गोयमा! नो देसेणं देसं बंधइ, नो देसेणं सवं बंधइ, नो सघेणं देसं बंधइ, सघेणं सव्वं वंधइ। . १६. प्र० संपराइयं णं भंते! कम्मं किं नेरइओ बंधइ, तिरिक्खजोणिओ बंधइ, जाव देवी बंध? [उ.] गोयमा! नेरइओ वि बंधइ, तिरिक्खजोणिओ वि बंधइ, तिरिक्खजोणिणी वि बंधइ मणुस्सो वि बंधइ, मणुस्सी वि बंधइ, देवो वि बंधइ, देवी वि बंधइ। १७. [प्र०] तं भंते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ; तहेव जाव नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो बंधइ ? [उ.] गोयमा! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, जाव नपुंसगो वि बंधइ; अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ, अहए य अवगयवेया य बंधंति। १८. [प्र०] जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ, अवगयवेदा य वंधति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ, पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? [उ.1 एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं, जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति । १९. [प्र०] तं भंते ! किं १ बंधी बंधइ बंधिस्सइ, २ बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, ३ बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, ४ बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? [उ०] गोयमा! १ अत्थेगतिए बंधी वंधइ बंधिस्सइ, २ अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, ३ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, ४ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । ऐयोपथिक कर्मसंबंधे १४. [प्र०] हे भगवन् ! ते (ऐर्यापथिक कर्म ) शुं १ सादि सपर्यवसित बांधे, २ सादि अपर्यवसित बांधे, ३ अनादि सपर्यवसित यवसितादि बांधे के ४ अनादि अपर्यवसित बांधेउ०] हे गौतम ! सादि सपर्यवसित बांधे पण सादि अपर्यवसित न बांधे, तेम अनादि सपर्यवसित भंग. अने अनादि अपर्यवसित न बांधे. देशी देशने बांधे? इत्यादि प्रश्न... सर्वथी सर्वने बांधे छे. १५. [अ०] हे भगवन् ! ते (ऐयापथिक ) कर्मने शुं "देशथी देशने बांधे, देशथी सर्वने बांधे, सर्वथी देशने बांधे, के सर्वथी सर्वने बांधे ? [उ०] हे गौतम ! देशथी देशने बांधतो नथी, देशथी सर्वने बांधतो नथी, सर्वथी देशने बांधतो नथी, पण सर्वथी सर्वने बांधे छे. सापरायिककर्मबंधन स्वामी. १६. [प्र०] हे भगवन् ! सांपरायिक कर्म शुं नारक बांधे, तिथंच बांधे, यावद् देवी बांधे ! [उ०] हे गौतम! नैरयिक पण बांधे. तिर्यच पण बांधे, तिर्यंचस्त्री पण बांधे, मनुष्य पण बांधे, मनुष्यत्री पण बांधे, देव पण बांधे अने देवी पण बांधे. सीवगेरे बांधे. १७. प्र०] हे भगवन् ! शुं सांपरायिक कर्मने स्त्री बांधे, पुरुष बांधे, तेमज यावत् नोस्त्री, नोपुरुष अने नोनपुंसक बांधे ! [उ०] हे गौतम ! स्त्री पण बांधे, पुरुष पण बांधे, यावद् नपुंसक पण बांधे; अथवा एओ अने वेदरहित स्त्री वगेरे एक जीव पण बांधे, अथवा एओ अने वेदरहित अनेक जीवो पण बांधे.. स्त्रीपश्चात्कृतादि बांधे १८. [प्र०] हे भगवन् ! (सांपरायिक कर्मने) जो वेदरहितजीव अने वेदरहितजीवो बांधे तो शुं स्त्रीपश्चात्कृत बांधे के पुरुषपश्चात्कृत बांधे ! इत्यादि. [उ०] ए प्रमाणे जेम ऐर्यापथिकना बंधकने कडं (सू. १२.) तेम अहीं सर्व जाणवं, अथवा स्त्रीपश्चात्कृत जीवो, पुरुषपश्चात्कृत जीवो अने नपुंसकपश्चात्कृत जीवो बांधे छे. मांसायिक कर्मको १९. [प्र०] हे भगवन् ! शु कोइए सांपरायिक कर्मने १ बाध्यु, बांधे छे अने बांधशे; २ बांध्यु, बांधे छे अने बांधशे नहीं. ३ ध्युं, बांधे छे अने बांध्यु, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं; ४ बांध्यु, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं : उ०] हे गौतम! १ केटला एके बांध्यु छे, बांधे छे अने पांधशे-ते संबन्धे मंगो. बांधशे; २ केटला एके बांध्यु छे, बांधे छे अने बांधशे नहीं; ३ केटला एके बांध्यु, बांधता नथी अने बांधशे; ४ केटला एके बांध्युं, बांधता. नथी अने बांधशे नहीं. १५.* जीवना देशथी-अमुक अंशथी, कर्मना देशने-अमुक अंशने बांधे ? इत्यादि प्रश्न-टीका. Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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