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________________ शतक ३. उद्देशक ४. مر؟ झुक्कलेसेसु वा. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. प्रमाणे:--तेजोलेश्यावाळाओमां, पद्मटश्यावाळाओमा अने शुक्लले. श्यावाळाओमां. १.. मूलच्छायाः-शुक्ललेश्येषु, वाः-अनु० लेश्याओ. 1+परि स्थिति लेश्या . 1. कोने होय? | वर्ण. | रस. गंध. | स्पर्श. " णाम.. लक्षण. | *स्थान. __=पुनर्जन्म. धन्य, उत्कश गात. घणो पानी उत्पत्ति नैयिक, तिर्यंच, अने ३३ साग या पछी १ मुहूत अनंत गुण खराव1. कृष्ण. - मनुष्य, भुवनपति | काळो. | कडयो. दुर्गध. कर्कश घणा कूरतम वृत्ति. असंख्य. अर्ध मुहूर्त.रोपम अने दुर्गति वा देश्यानो अन्त अने वानव्यंतरोने. १ मुहूर्त. धवाने १ मुहूर्त बाकी होय त्यारे प्रका | नैरथिक, तिथंच, . | अनंत गुण २-नील. मनुष्य, भुवनपति, नीलो. । तीनो अने व्यंतरोने. १० सागरोपम अने पल्योपमनो असंख्यातमो " " !" कूरतर वृत्ति.] , भाग. ३. कापोत. पारेवानी अनंत गुण डोक जेवो खाटो. "I" " । करदात " ३ सागरोपम,पल्यन, अ० भाग. " | तेजः. तिर्यच, मनुष्य अने देवने. रातो अनंत गुण सुरभि. कोमळ., शुभ-वृत्ति. २ सागरी पम,पल्य० सुगति | अ. भा० । -तिर्थच, मनुष्य अने वैमानिकोने. दम. भांगेली | ... अनंत गुण जेवो. 1१० सागरोपम, अने, हळदर । मधुर. " शुभतर-वृत्ति. . | मधुर.." |" | १ मुहूर्त. |- निर्यच, मनुष्य | ३३ साग रोपम अने ६. शुक्ल. | धोळो. अनंत गुण |" , "शुभतम-वृत्ति , , ' अने धैमानिकोने. या , स्वादु. + परिणाम-शब्द, लेश्यानी न्यूनाधिकताने वा तीव्रमन्दताने सूचवे छे. * स्थान-२०द लेश्याना निमित्तोने सूचवे छे. = पुनर्जन्म-शब्द जन्मांतरनो सूचक छे. मनुष्य अने तिर्यचोनी कांई आखी जींदगी सुधी एक ज लेश्या रहेती नथी. ते तो निमितवशे घगी दखत बदलाया करे छे. हषे ज्यारे तेओना पर्यवसाननो समय आवे छे त्यारे तेओं एवी कोई पण लेश्यामा वर्तता होय छे के, जेनी साथे तेओए एक मुहूर्त तो गाळे होय अर्थात् तेओर्नु मृत्यु अमुक एक निश्चित लेश्यामां ज थाय छे. आथी विपरीत-देव अने नारकोनी लेश्या तेओनी आखी जींदगी सुधी बदलाती नथी. जे लेश्यामां तेओ वर्तता होय छे तेनु अवसान धवाने मात्र एक ज मुहूर्त वाकी रहे छे त्यारे ज तेओ मरवानी अणी उपर होय छे-तेओ जे लेश्यामा छ तेज लेश्यामा पुनर्जन्म ग्रहण करे छे:-अनु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004641
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherJinagama Prakashan Sabha
Publication Year
Total Pages358
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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