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________________ ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटीका-विराजितम् अथवा-कुतो विश्रामो लोकपालानाम् ? / तथाहिभानुः सकृयुक्ततुरङ्ग एव, रात्रिन्दिवं गन्धवहः प्रवाति / शेषः सदैवऽऽहितभूमिभारः. षष्ठांशवृत्तेरपि धर्म एषः // 4 // _ (-इति परिक्रामति)। राजकार्यभारेण सम्प्रति परिश्रान्तत्वाद्देवस्येत्याशयः / लोकपालानां = जगत्परिपालकानां चन्द्रसूर्यादीनां, राज्ञाञ्च / भानुरिति / भानुः = सूर्यः / सकृत् युक्तास्तुरङ्गा यस्य, येन वाऽसौ सकृद्यक्ततुरङ्गः = युगादावेकवारमेव रथनियुक्ततुरङ्गमोऽद्य यावद्धमत्येव लोकरक्षायै. सूर्यः / न तदश्वाः कदापि रथाद्वियुज्यन्ते / तदेवं सूर्यो न कदापि विश्राम्यतीति भावः / किञ्च गन्धं वहतीतिगन्धवहः = पवनः / रात्रौ च दिवा च-रात्रिन्दिवम् = अहोरात्रम् / प्रवाति = प्रवहति / 'प्रयातीति पाठान्तरं / किञ्च = शेषः = नागराजः शेषोऽपि / सदैव = सर्वदैव / आहितो भूमे रो येनासौ-आहितभूमिभारः = शिरोधृतधरित्रीमण्डलस्तिष्ठति / न कदापि स्वाधिकारात्क्षणमपि विश्राम्यति / षष्ठोंऽशो वृत्तिर्यस्यासौ, तस्य-षष्ठांशवृत्तेः = प्रजोपार्जितधनादितः षष्ठांशाधिकारिणो राज्ञोऽपि / एषः = प्रजापालनेऽविश्रामः / धर्म एव = अवश्य कर्त्तव्यमेव / राजा हि प्रजाभ्यस्तदुपार्जितधनादेः षष्ठं भागं कररूपेण गृह्णाति / { मालाप्रतिवस्तूपमा। परिसङ्ख्या / . अथवा-लोकपालों को ( इन्द्र आदि लोकपालों को तथा राजाओं को भी) विश्राम करने का अवकाश ही कहाँ होता है ? / क्योंकि, देखो___ जैसे-भगवान सूर्य के रथ में उनके सातों घोड़े सदा जुते ही रहते हैं / अर्थात्-सूर्य के रथ के सात घोड़े कभी खुले ही नहीं है, एक बार जब से वे रथ में जुते हैं, तब से वे बराबर चक्कर ही काट रहे हैं। क्योंकि भगवान् सूर्य दिन रात कहीं न कहीं उदित ही रहते हैं, अतः उनका रथ सदा चलता ही रहता है / और वायु भी दिन रात बहता ही रहता है, वह भी कभी विश्राम नहीं लेता है। एवं भगवान् शेष नागजी भी सदा भूमि के भार को अपने शिर पर धारण ही किए रहते हैं। वेभी कभी उससे विश्राम नहीं लेते हैं। इसी प्रकार प्रजा से आय के छठे भाग के लेने के अधिकारी राजा का भी प्रजा पालन में सदा उद्यत रहना ही धर्म है // 4 //
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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