________________ रे जीव ! किं न मुणि विगलिंदिगईगएण दुक्खेहिं / दो दो तहिं पत्तेअं लक्खाजोणीभमंतेणं रे जीव ! किं न सहिअं नारयसुरविविहदुक्खसहिएण / चउरो चउरो लक्खा जोणीणं परिभमंतेण रे जीव ! तिरिअमज्झे बहुविहदुक्खेहिं दुम्मिअमणस्स। तुह वोलीणो कालो चउरो लक्खाइ जोणीणं // 7 // रे जीव ! माणुअभावे नाणाविहरोगसोगसंतत्तो / दसचउरो लक्खेहिं जोणीणं किं न निविण्णो ? रे जीव ! सुमर सुमरह निच्चं चिअ इंदिएहि संमूढो / .. सरसल्लिअ व्व अंगे विब्भलनयणो चिरं भमसि // 9 // रे जीव ! तइं संचिअ कइआ दुक्खाण एस रिछोली। .. ता मूढ ! कुणसु धम्मं जिणभणिअं लोगविक्खायं // 10 // रे जीव ! भावणाओ नवनवसंवेगवड्ढियपयावा / निट्ठवणं कम्माणं कुणसु धुवं थेवकालेणं // 11 // // 8 // // 2 // ॥देहकुलकम् // नमिऊण जिणं वीरं किंचि सरूवं भणामि देहस्स / पिट्ठिकरंडा अट्ठारसेव बारस य पंसलिया सत्त सिराण सयाई पुरिसस्सित्थीण तीसऊणाई। दसऊणाइ नपुंसे तिनि सया अट्ठिदामाणं पंचसय पेसियाई नराण महिलाण तीसरहियाई / दसऊणाई नपुंसे मम्माण सयं च सत्तऽहियं नव हारूण सयाई नव धमणीओ य संधि सट्ठिसयं / परिणमइ उ उच्चारो पढम पासेय दाहिणए . 130 . // 4 //