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________________ // 40 // सव्वे जीवा जणिआ, जणिओ सव्वेहिं एस पुण गसिओ। सव्वे अणेण गसिआ, अणाइसंसारभमणम्मि // 36 // सव्वे देवा आसी, सव्वे मणुतिरिय आसि संसारे। सव्वे अणंतवारं, परिक्कमा नरयजालाहिं - // 37 // धी धी धी संसारं, देवो मरिऊण जं तिरी होइ। . मरिऊण रायराया, परिपक्कड़ नरयजालाहिं // 38 // हा विसमो संसारो, तरुणो निअरूवगविओ मरिउं। जाई ससरीरे वि अ, किमीकुलमज्झम्मि होइ किमी // 39 // हा हा हा अइकट्ठो, संसारो कम्मसंतई बलिया / जेण विअक्खणमणुओ, एगिदिय होइ मरिऊणं अंधो बहिरो मूओ, रसणिदिअवज्जिओ जिओ दुहिओ। " हिंडइ अणंतकालं, बेइंदियत्तं पि अलहंतो // 41 // सामी जायइ दासो, दासो सामित्तणेण जायइ / मित्तो जायइ सत्तू,. सत्तू वि अहोइ.पुण मित्तो .. // 42 // बंधू वि होइ परो, परो वि बंधुत्तणेण संघडइ / सयणो वि अ होइ परो, परो वि सयणत्तमुवजाइ // 43 // माया जायइ पत्ती, पत्ती मरिऊण होइ पुण. माया। बहिणी वि होइ धूआ, धूआ बहिणी वि पत्ती वि पुरिसो वि होइ इत्थी, नपुंसगत्तेण सो वि संजायइ। कुंथू वि होइ हत्थी, हत्थी कुंथूणत्तणमुवेइ नत्थि हु कोइ अपुव्वो, जम्मो देहो वि जं न जीवेण। . गहिऊणं पुण मुक्को, भवपरिवाडीभमंतेणं // 46 // कत्थइ महुरं गीअं, पिअयणसहिएण उववणे रम्मै। कत्थइ गुरुअविलावा, पियविरहविसंथुलेण कया / 134 // 44 // // 45 // // 47 //
SR No.004456
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages314
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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