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________________ इय भाविअपरमत्थो समसुहदुक्खोऽबहीअरो होइ। ' तत्तो अ सो कमेणं साहेइ जहिच्छिअंकज्जं // 1404 // एगत्तभावणाए ण कामभोगे गणे सरीरे वा / सज्जइ वेरग्गगओ फासेइ अणुत्तरं करणं // 1405 // इअ एगत्तसमेओ सारीरं माणसं च दुविहं पि। . भावइ बलं महप्पा उस्सग्गधिइसरूवं तु // 1406 // पायं उस्सग्गेणं तस्स ठि (धि) ई भावणाबला एसो। संघयणे वि हु जायइ इण्डिं भाराइबलतुल्लो // 1407 // सइ सुहभावेण तहा जं ता सुहभावथिज्जरूवा उ। .. एत्तो च्चिअ कायव्वा धिई णिहाणाइलाभे व्व // 1408 // धिइबलणिबद्धकच्छो कम्मजयटाएँ उज्जओ मइमं / .. सव्वत्था अविसाई उवसग्गसहो दढं होइ // 1409 // सव्वासु भावणासुं एसो उ (य) विही उ होइ ओहेणं / एत्थं चसद्दगहिओ तयंतरं चेव केइ त्ति // 1410 // जिणकप्पिअपडिरूवी गच्छे ठिअ कुणइ दुविह परिकम्मं / आहारोवहिमाइसु ताहे पडिवज्जई कप्पं // 1411 // तइआए अलेवाडं पंचण्णयरीएँ भयइ आहारं। दोण्हऽण्णयरी' पुणो उवहिं च अहागडं चेव . // 1412 // पाणिपडिग्गहपत्तो सचेल (सचेलऽचेल) भेएण वा वि दुविहं तु / जो जहरूवो होही सो तह परिकम्मए अप्पं // 1413 // निम्माओ अ तहिं सो गच्छाई सव्वहाऽणुजाणित्ता / पुव्वोइआण सम्मं पच्छा उववूहिओ विहिणा // 1414 // खामेइ तओ संघं सबालवूडू जहोचिअं एवं / . . अच्वंतं संविग्गो पुव्वविरुद्ध विसेसेण . // 1415 // 118 .
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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