________________ ऊणत्तं ण कयाइ वि इमाण संखं इमं तु अहिकिच्च / जं एयधरा सुत्ते णिद्दिट्ठा वंदणिज्जा उ // 668 // ता संसारविरत्तों अणंतमरणादिरूवमेयं तु / णाउं एयविउत्तं मोक्खं च गुरूवएसेणं // 669 // परमगुरुणो य अणहे आणाएँ गुणे तहेव दोसे य / मोक्खत्थी पडिवज्जिय भावेण इमं विसुद्धणं // 670 // विहिताणुट्ठाणपरो सत्तणुरूवमियरं पि संधेतो / अण्णत्थ अणुवओगा खवयंतो कम्मदोसे वि // 671 // सव्वत्थ णिरभिसंगो आणामेत्तम्मि सव्वहा जुत्तो / एगग्गमणो धणियं तम्मि तहाऽमूढलक्खो य // 672 // तह तइलपत्तिधारगणायगओ राहवेहगगओ वा / / एयं चएइ काउं ण उ अण्णो खुद्दसत्तो त्ति // 673 // एत्तो चिय णिद्दिटुं पुव्वायरिएहिं भावसाहु त्ति / हंदि पमाणठियत्थो तं च पमाणं इमं होइ // 674 // सत्थुत्तगुणो साहू ण सेस इह णे पइण्ण इह हेऊ / अगुणत्ता इइ णेओ दिटुंतो पुण सुवण्णं व // 675 // विसघाइरसायणमंगलत्थविणए पयाहिणावत्ते / गरुए अडज्झऽकुत्थे अट्ठ सुवण्णे गुणो होति // 676 // इय मोहविसं घायइ सिवोवएसा रसायणं होति / गुणओ य मंगलत्थं कुणति विणीओ य जोग्ग त्ति // 677 // मग्गणुसारिषयाहिण गंभीरो गुरुयओ तहा होइ / / कोहग्गिणा अडज्झोऽकुच्छो सइ सीलभावेणं // 678 // एवं दिटुंतगुणा सज्झम्मि वि एत्थ होंति णायव्वा / ण हि साहम्माभावे पायं जं होइ दिटुंतो // 679 // 261