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________________ GeegeeakGeegeet Getergestagedeosikgeetage बिना उन्होंने बाहुबली पर सुदर्शनचक्र चला दिया। रणांगण वीभत्स हो उठा / सुदर्शनचक्र अमोघ अस्त्र होता है। बाहुबली के सैनिकों ने सुदर्शन चक्र को निष्प्रभावी बनाने के लिए भरसक प्रयत्न किए लेकिन वे असफल रहे / सुदर्शनचक्र बाहुबली के पास पहुंचा, लेकिन वह भी उनका कुछ न बिगाड़ सका / यह / प्राकृतिक नियम है कि पारिवारिक व्यक्ति और चरमशरीरी पुरुष / को सुदर्शन चक्र छू नहीं सकता। बाहुबली की परिक्रमा करके चक्र 13 लौट आया। बाहुबली की सेना में विजयी उल्लास छा गया / भरत की दुष्टभावना ने बाहुबली को क्रोधित कर दिया। उन्होंने भरत को / मारने के लिए अपनी मुट्ठी तान ली और उनकी ओर दौड़ चले। 1) इस दृश्य से भरत की सेना आतंकित हो उठी। प्राकृतिक नियम 2 टूटने के निकट थे। उसी समय देवों ने मध्यस्थता करते हुए र बाहुबली को रोका और कहा-"वीरवर! तुच्छ राज्य के लिए आप 5 अपने बड़े भाई को मारने पर उतारू हो गए हैं। आप जैसे धीर3) वीर और प्रामाणिक पुरुष यदि ऐसा करेंगे तो साधारण जनता का श) क्या होगा। भरत को क्षमा कर दो और प्रकृति के नियमों की रक्षा र 1 करो।" बाहुबली रुक गए। परन्तु शूरवीरों के वार कदापि निष्फल ए नहीं जाते। उन्होंने अपनी तनी हुई मुट्ठी को अपने सिर पर रखा *) और केश-लुंचन करने लगे। युद्ध के मैदान में ही वे महाबली योद्धा से महामुनि बन गए / मुनि बनकर बाहुबली जैसे ही प्रभु ऋषभदेव ई के पास जाने को उद्यत हुए तो तत्काल उन्हें विचार आया-"प्रभु है। 6) ऋषभ के पास तो मेरे अनुज पहले से ही दीक्षित है। यदि मैं वहां जाऊंगा तो मुझे उन्हें वन्दन करना पड़ेगा। इससे मेरी प्रतिष्ठा गिर
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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