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________________ सुखासन सुखासन सुखासन विधि पैरों को अपने शरीर के सामने फैलाकर बैठ जाइये / दाएँ पैर को मोड़ कर पंजे को बायीं जाँघ के नीचे रखिये / बाएँ पैर को मोड़ कर पंजे को दायीं जाँघ के नीचे रखिये / ..हाथों को घुटनों पर रखिये। सिर, गर्दन और पीठ को सीधा रखिये / प्रकारान्तर यदि घुटनों और पीठ के चारों तरफ एक कपड़ा बाँध लिया जाये तो इस आसन में अधिक समय तक रहा जा सकता है / टिप्पणी नए अभ्यासियों के लिये ध्यान का यह एक आदर्श आसन है, खासतौर से उन लोगों के लिये जो ध्यान के अन्य आसनों में नहीं बैठ सकते / . पूजा समय भारतवर्ष में अनेक स्त्रियाँ इसी ढंग से बैठती हैं / अभ्यासी से जब ध्यान का कोई अन्य आसन लगने लगे तब सुखासन को त्याग .. देना चाहिये। 69
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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