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________________ शंखप्रक्षालन के उपरांत विश्राम शंखप्रक्षालन के बाद 45 मिनट मौन धारण किये हुए लेटकर या बैठकर - आराम करना अनिवार्य है / निद्रा न आने पाये / इस अवधि में पाचन - संस्थान को पूर्ण विश्राम की प्राप्ति होती है / विशेष भोजन शंखप्रक्षालन के 45 मिनट बाद चावल, मूंग की दाल तथा घी से तैयार की गयी खिचड़ी ग्रहण कीजिये / यह विशेष भोज्य - पदार्थ पाचन - प्रदेश को सरलता से क्रियाशील बनाता एवं स्निग्धता प्रदान करता है। यह स्मरण रखिये कि शंखप्रक्षालन क्रिया से केवल त्याज्य पदार्थों का ही निष्कासन नहीं हुआ है, वरन् अन्ननलिका की दीवारों की प्राकृतिक, आवश्यक एवं रक्षा करने वाली तहों को भी हटा दिया गया है। पाचन - प्रदेश आवरणरहित हो जाता है। अतः नवीन तहों के निर्माण तक घी अस्थायी रूप से रक्षक -कवच निर्मित करता है | अधिक काल तक आँत की तत्वरहित अवस्था स्वाभाविक नहीं है। फलतः जहाँ घी उसकी दीवारों को आवरण प्रदान करता है, वहाँ चावल सरलतापूर्वक हजम होने वाले तत्व प्रदान करता है। दाल प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा प्रदान करती है एवं शीघ्र हजम होने वाली है / चावल के कार्बोज तथा घी से प्राप्त चर्बी के साथ संयुक्त होकर यह पूर्ण आहार की पूर्ति करता है। संयमित भोजन कम से कम एक हफ्ते तक संयमित भोजन ग्रहण करना अनिवार्य है / यदि संभव हो तो कुछ अधिक अवधि तक यही आहार लीजिये / रासायनिक विधि से तैयार भोजन - सामग्री, मांसाहार एवं अम्लीय अन्न का सेवन कम से कम एक हफ्ते तक वर्जित है। दूध, मट्ठा, अम्लीय फल, संतरा, अंगूर आदि का भी निषेध है / चाय, कॉफी, शराब, सिगरेट, सुपारी आदि वस्तुयें और पान एक हफ्ते तक वर्जित हैं। . अधिक से अधिक सरल, सुपाच्य, शुद्ध प्राकृतिक आहार (अधिक अम्लीय न हो) ग्रहण करने की सलाह दी जाती है। यह सदैव स्मरण रखिये कि 337
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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