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________________ निर्देश एवं सावधानियाँ - आसनों को सीखना प्रारम्भ करने से पूर्व निम्नांकित निर्देशों एवं सावधानियों का अध्ययन भली-भाँति कर लेना चाहिये / यद्यपि कोई भी व्यक्ति आसन करना प्रारंभ कर सकता है लेकिन आसन प्रभावशाली एवं वास्तव में लाभकारी तभी हो सकते हैं जबकि उनके लिये उचित ढंग से तैयारियाँ की जायें। आँतों को खाली रखना आसनों का अभ्यास करने के पूर्व मूत्राशय और आँतें खाली कर ली जायें तो ठीक रहता है। अगर आपको कब्ज है तो दो-तीन गिलास हल्का नमकीन पानी पीकर हठयोग के अन्तर्गत शंखप्रक्षालन के खण्ड में दिये गये आसनों - ताड़ासन, तिर्यक् - ताड़ासन, कटि-चक्रासन, तिर्यक् - भुजंग आसन व उदराकर्षणासन का अभ्यास करें। इससे कब्ज में राहत मिलेगी / यदि आराम न मिले तो पवनमुक्तासन का क्रम अवश्य सहायक सिद्ध होगा / हाँ, आसनों से पूर्व प्रतिदिन मल- त्याग का एक निश्चित समय अवश्य बना लें / जोर न लगायें, बल्कि पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ सप्ताह के बाद आँतें स्वयं प्रतिदिन निश्चित समय पर मल-निष्कासन करने लगेंगी। जुलाब आदि से बचें, क्योंकि औषधियों के सेवन से आँतों की स्वाभाविक शक्ति शिथिल हो जाती है। पेट को खाली रखना आसन करते समय पेट अवश्य ही खाली रहना चाहिए | इसलिए भोजन लेने के तीन-चार घंटे बाद तक आसन नहीं करने चाहिए / यही कारण है कि प्रातः काल आसन करना उचित माना जाता है। इस समय निश्चित - रूप से पेट खाली रहता है। धूप-स्नान लंबे धूप-स्नान से शरीर का तापक्रम बढ़ जाता है, अतः धूप-स्नान के तुरन्त बाद आसन मत कीजिये / श्वास-प्रश्वास हमेशा नाक से श्वास लीजिये, जब तक कि इसके विपरीत कोई विशेष निर्देश न दिये गये हों / विवरण में जिस प्रकार निर्देश दिया गया हो, श्वास को उसी प्रकार आसनों के साथ जोड़िये / 10
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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