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________________ कूर्मासन कूर्मासन कूर्मासन पैरों को दूर-दूर रखकर बैठ जाइये / सामने झुकिये। दोनों हाथों को घुटनों के नीचे ले जाइये / हथेलियाँ खुली रहें। कपाल को भूमि पर झुकाइये / घुटनों के नीचे ही से हाथों को अधिक पीछे ले जाइये तथा उनकी अंगुलियों को बाँध कर पीछे रखिये / घुटनों को ऊपर उठाइये / तलवों को भूमि पर समतल रखिये / एड़ियों को उठाकर हाथों को शिथिल कीजिये / वापस लौट आइये / श्वास . . . . झुकते समय रेचक कीजिये / अंतिम अवस्था में सामान्य श्वास - क्रिया। समय : आध्यात्मिक लाभ हेतु अधिक देर तक अभ्यास करना चाहिये / . शारीरिक एवं मानसिक लाभ के लिये पन्द्रह मिनट तक | . एकाग्रता आध्यात्मिक : स्वाधिष्ठान या मणिपुर चक्रपर / भौतिक : पीठ के स्नायुओं के शिथिलीकरण व निम्न उदर - प्रदेश पर / - इसके उपरांत पीछे झुकने वाले आसन का अभ्यास करना चाहिये। * सीमाएँ . . स्लिप डिस्क, साइटिका या हड्डियों के दीर्घकालीन दर्द में वर्जित / लाभ * अपने स्थान से सरकी हुई कशेरुकाओं को पुनः यथास्थान स्थापित करता है। पीठ-दर्द, सिर-दर्द, गर्दन के दर्द को दूर करता है। गुर्दो को शक्ति प्रदान करता है। 241
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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