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________________ चतुर्थ अवस्था . पंचम अवस्था चतुर्थ एवं पंचम अवस्था- इस प्रकार सन्तुलन प्राप्त होने के पश्चात् नितम्बों को उठाकर सीधा कीजिये। इससे पैरों का ऊपरी भाग धड़ से दूर होकर ऊपर की ओर उठ जायेगा। घुटनों को पूर्णतः सीधी अवस्था में ले आइये / इस अवस्था में शरीर पूरी तरह सीधा एवं उल्टा रहेगा। इस अवस्था में आपका शरीर पूरी तरह सीधा है या नहीं, यह जानने के लिए दूसरे व्यक्ति की मदद लें तो उचित होगा। यथासम्भव इस स्थिति में रुकिए। . तत्पश्चात् पैरों को मोड़िये और अंगुलियाँ जमीन पर टिका दीजिए। श्वास अन्तिम स्थिति में जाते एवं पूर्व स्थिति में लौटते हुए अंतर्कुम्भक / अन्तिम स्थिति में श्वास-प्रश्वास की क्रिया स्वाभाविक रहेगी। टिप्पणी इस आसन के नियमित अभ्यास से श्वास की सूक्ष्मता बढ़ती है। . समय पुराने अभ्यासी अन्तिम स्थिति में 30 मिनट तक रुक सकते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में केवल 30 सेकेण्ड रुकें / प्रति सप्ताह अवधि 1 मिनट बढ़ाते जाइये जब तक कि इच्छित अवधि तक न पहुँच जाये। सामान्य स्वास्थ्य -प्राप्ति हेतु 3 से 5 मिनट तक करना पर्याप्त है। 192
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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