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________________ पूर्ण शलभासन पूर्ण शलभासन पूर्ण शलभासन विधि पैरों को जितना ऊपर उठा सकें, उठा कर अंतिम अवस्था में आ जायें। ठुड्डी, हाथों व कन्धों पर जोर देते हुए पैरों को झटके के साथ ऊपर ले जाने का प्रयल कीजिये और कोशिश कीजिये कि पैरों के अंगूठे सिर के पिछले भाग को छू लें। यह अवस्था धीरे-धीरे शरीर को साधते हुए झटके के द्वारा पैरों को पीछे ले जाकर 3-4 बार में भी प्राप्त की जा सकती है। पैरों को हर बार इतना मोड़ना चाहिए कि वे पहली बार से अधिक ऊपर जायें / अंतिम अवस्था में बिना कष्ट या तनाव के कुछ देर रुकें और तब सावधानी के साथ पूर्व स्थिति में वापस लौट आयें। श्वास शरीर को ऊपर ले जाते समय व नीचे लाते समय श्वास अन्दर / आसन की अन्तिम अवस्था में श्वास बिल्कुल साधारण / सीमाएँ इस आसन का अभ्यास केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिए है जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हों तथा जिनकी पीठ या रीढ़ लचीली हो / लाभ शलभासन के अलावा शीर्षासन से प्राप्त होने वाले कुछ लाभ भी। 150
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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