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________________ स्थिति 7 स्थिति 7 : भुजंगासन विधि हाथों को सीधे करते हुए शरीर को कमर से ऊपर उठाइये / सिर को पीछे की ओर झुकाइये। यह अवस्था भुजंगासन की अन्तिम स्थिति के समान ही है / (विवरण के लिए इसी पुस्तक के अन्य अध्याय में देखिये)। श्वास कमर को धनुषाकार बना कर उठते हुए श्वास लीजिये। एकाग्रता स्वाधिष्ठान चक्र पर। . . - ॐ हिरण्यगर्भाय नमः लाभ आमाशय पर दबाव पड़ता है। यह आमाशय के अंगों में जमे हुए रक्त को हटा कर ताजा रक्त-संचार करता है। बदहजमी व कब्ज सहित यह आसन पेट के सभी रोगों में उपयोगी है। रीढ़ को धनुषाकार बनाने से उसमें व उसकी मांसपेशियों में लचीलापन आता है एवं रीढ़ के प्रमुख स्नायुओं को नयी शक्ति मिलती है। . 120
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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