________________ सप्ततिकाभिधे षष्ठेकर्मग्रन्थे दोछक्कट्ठचउक्कं इच्चाइट्ठाण गइचउक्कस्स / / बंधोदयसवियप्पा. संतढाणा य इय वुत्ता // (461) इय अणुसारेण तहा नेया इह मग्गणाण तेरससु / बंधोदयसंतगया. भेयवियप्पाउ सव्वत्थ // (462) इय एउ सुमरणत्थं टिप्पणमित्तं पि किंचि उद्धरियं / लक्खणछंदवियारो न य कायव्यो य को वि इहं // (563) [466] इत्थ य सुत्तविवन्नं मइमोहा किंचि उद्धरिय होज्जा / सोहिंतु जाणमाणा मज्झ य मिच्छुक्कडं होउ // (564) [467] सिरिजिणवल्लहसूरी आसी सूरुव भुवणविक्खाओ / तस्सेव विणेएणं उद्धरियं रामदेवेणं // (565) श्रीरामदेवगणिकृतं सप्ततिकाटिप्पनकं समाप्तम् / / शिवमस्त सर्वमगत भजन जयति शासनम