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________________ 200 देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. एक उकार पल्योपम बीजो अझ पल्योपम अने त्रीजो क्षेत्रपक्ष्योपम, एवात्रण प्रका रे जे. ते उझरादिक एकेको वली एक सूक्ष्म अने बीजो बादर एवा बे बे नेदे बे. हवे पव्यनुं प्रमाण कहे जे. उत्सेधांगुले एक योजननो कूवो वाटलो गोलाकारे जा णवो, ते लांबपणे तथा पहोलपणे अने जंडपणे सर्वत्र एक योजन प्रमाण कहेवो तेनो परिधि त्रण योजन अने एक योजननाब नाग करीये, तेवो एक नाग ऊपर थाय. ते कूवो देवकुरु उत्तरकुरु नामे जे युगलियानां क्षेत्र , तिहां जघन्य एक बेत्रण दिवसना उत्कृष्टथी सात दिवसना जन्मेला गामराना रोम अंगुल प्रमाण लेवा, ते रो मना प्रथम श्राप कटका करीये वली ते एकेका कटकाना श्राप श्राप कटका करतां 64 कटका थाय. त्रीजी वार आठ खंग करतां 512 थाय. चोथी वार आठ खंग कर तां ४०ए६ थाय. पांचमी वार आठ खंग करतां 376 थाय. बही वार श्राप खंग करतां श्६२१४४ थाय. सातमी वार श्राप खंग करतां 207155 थाय. .. ए वीश लाख सत्ताणुं हजार एकशो ने बावन खंग थया, ते सर्व बादर खंग थया तेणे करी पूर्वोक्त पालो संपूर्ण गंशीने एवो नरवो के ते अग्निथी बले नही, वायराथी रोमखंग उडे नही, गंगानदीनो प्रवाह उपरथी चाख्यो जाय तो पण तेने ताणी शके नही, चक्रवत्ती, कटक उपर चाव्यु जाय, तो पण ध्रसके नही. एवो ते कूवो लरी ने पळी ते मांदेथी अकेक समये अकेक केश खंम कादाडतां थकां जेटले काले ते पालो खाली थाय, तेटलो बादर उकार पट्योपमनो संख्याता समय प्रमाण काल हो य, जे जणी ते खंड संख्याताज होय, माटे संख्यातो काल कह्यो, ए बादर उकार प ख्योपम जे कह्यो ते मात्र सूक्ष्म उकार पव्योपमनुं स्वरूप समजाववामांज उपयोगी होय. परंतु बीजा कशामां पण काम आवे नही. हवे प्रर्वे जे वालाग्रखंडे पथ्य नस्यो बे, ते बादर एकेक खंमना असंख्याता सूक्ष्म खंग कल्पिये, ते एवा कल्पीये, के जे एक खंडनो वली बीजो खंड केवली केवल झाने करी पण कल्पी न शके, सतेजवंत नेत्रनो धणी जे जालीमांदेथी सूक्ष्म पुजल सूर्यना तेजे करी देखे, तेनो असंख्यातमो नाग अथवा बादर पर्याप्त पृथिवी कायिया जीवनुं जेतुं सूक्ष्म शरीर होय, तेवडे खंडे करी पूर्वोक्त कूवो जरीये, ते एकेको खंड समय समय काहाडतां असंख्याता समय लागे, अर्थात् संख्याता वर्षनी कोटिये करी ते कूप खाली थाय तेने सूदम उझार पक्ष्योपम कहीये. तेवा दश कोमाकोमी पढ्यो पमे एक सूक्ष्म उकार सागरोपम थाय. तेवा अढी सागरोपमना जेटला समय थाय तेटले प्रमाणे असंख्याता द्वीप समुह बे. ए सूक्ष्म उझार पक्ष्योपम कह्यां.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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