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________________ 254 358 700 255 . प्रवानि पृष्ठाकाः पद्यानि पृष्ठाडाः. शय्यन्ते हतशायिकाः 512/ शेषो हेमगिरिस्त्वं च . 475 शरदिन्दुसुन्दरमुखी शैलात्मजापि पितुरुच्छिरसो 699 शलभा इव धावन्तः शैले शैले न माणिक्यं शाम वृष्टिमघानां शोभा पुष्यत्ययं 121 शैशिनमुपगतेयं 653 श्यामलाः प्रावृषेण्याभिः 525 शविनाच निशा निशया च शशी३४७ श्रद्धायनी यदि स्यातां 264 शशिरुचिषु दलेषु नागवल्लया 161 श्रमणः श्रावकवध्वाः शान्तमिदमाश्रमपदं 611 श्रियः प्रदुग्धे विपदो रुणद्धि शान्यै वोऽस्तु कपालदाम 536 श्रीदीप्ती हीकीर्ती 271 शापादसि प्रतिहता शापान्तो मे भुजगशय श्रुखायं सहसागतं नाद् 164,628,651 श्रूयतां धर्मसर्वखं शासनेऽपि गुरुणि व्यवस्थितं 397 | श्लाघ्यानां गुणिनां धुरि 678 शिखण्डे खण्डेन्दुः शशिदिनकरी 732 श्लेषं मृगदृशां शिजानमञ्जमजीराः 237 शिथिलशिथिलं न्यस्य अण्डेषूद्दण्डपिण्डीतगर 97,182 शिरसि शरभः क्रोडे क्रोडः 252 शुकत्रीबालमूर्खाणां संहअचकवाअजुआ शुद्धं बद्धसुरास्थि सअलुजोइअवसुहे शुद्धान्तदुर्लभमिदं शुभे कोऽयं वृद्धो 1. ध्वन्यालोके 4.4. 2. कुमारसं० शुश्रूषख गुरून्कुरु प्रिय- 170 3-75. 3. चाणक्यश० 55. 4. 1. रुद्रटकाव्या०८.२०. 2. रघुवं. वामनकाव्या० 2-2-4. 5. काव्याद० 6-85. 3. शाकुन्त० 1-6. 4. शा. 2-100. 6. विद्धशाल० 1-8. 7. कुन्त० 7-32. 5. मेघदू० 115. काव्याद० 4.86.8. पञ्चतत्रे 3.103. 6. शिशुपा० 14-15. 7. महानाट० 9. मालती० 10.22. 10. उत्तरार्ध५.३.. 8. शाकु० 1.17. 9. शा- मेतत् / पूर्ण पद्यमेतदुदाहृतं पृ. 182. कुन्त० 4.18. / 11. सेतुब० 3.31. 106 431
SR No.004397
Book TitleSarasvatikanthabharanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1934
Total Pages894
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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