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________________ 21 78 525 - पद्यानि पृष्ठाङ्काः / पद्यानि पृष्ठाका पर जोला उण्हा 251 / पाणउडी अवि जलिऊण 352 पैरदाराभिलाषो मे 138 | पाणिग्गहणे चि परस्य भूयान्विवरे 343 पाणिपद्मानि भूपानां 414 परितस्तं पृथासूनुः 6.3 पाणिपल्लवविधूननमन्तः 619 परिवति व णिसम्मइ 616 पाण्ज्योऽयमंसार्पितलम्बहारः 407 परिस्फुरन्मीनविघट्टितो रवः पातालतालुतलवासिषु पर्दते हदते स्तन्यं 17 पातालप्रतिमल्लगल्लविवर पर्वतमेदि पवित्रं 522 पात्रे पुरोवर्तिनि विश्वनाये पर्याप्तपुष्पस्तबकतनीभ्यः 629 पादावष्टम्भनम्रीकृत 313 पैलिच ले लंबदशाकपालं 692 पादे मूर्धनि ताम्रतामुपगते पल्लविअं विअ करपल्लवेहिं 456,467 पानीयं पातुमिच्छामि . पवणुव्वेल्लिअसाहुलि पाप्मापहारी रणकर्मशौण्डः 269 पंवनो दक्षिणः पर्ण पायं. पायं तवारीणां पश्चात् पर्यस्य किरणा 130,330 पायाद्वश्चन्द्रधारी सकलसुरशिरो 285 पहवंति चिअ पुरिसा पायाद्वो रचितत्रिविक्रमतनुः 532 पाअडिअं सोहग्गं पिअदंसणेण सुहरस 373 पोअपडणाण मुद्धे 645 पिअसंभरणपलोत पितुः पदं मध्यममुत्पतन्ती 92 1. कर्पूरम० 2.11. 2. का. पिनष्टीव तरङ्गाप्रैः 242,552 व्याद० 3-134. 3. किराता० 16- पिपिप्रियं ससस्वयं 166,581 23. 4. किराता० 11-8. परं तत्र 'अमितस्तं'इति पाठः. 5. किराता० 1. गा० स० 1-69. 2. काव्या० 8-45, 6. नलचम्पू: 6-29. 7. कु. | 2-259. 3. किराता० 9-50. 4. र. मारसं० 3-39. हेमचन्द्रस्य काव्यानु | घुवं० 6-60. 5. वामनका० 1.3. शासनेऽपि. 8. मृच्छकटि० 8-21. 33. 6. मालतीमा० 5-22. 7. का. 9. काव्याद० 2-98. 10. काव्या. व्याद० 2-288. 8. गा० स० ४द० 2-257. 11. गा० स० 5.60. 23. 9. गा० स०३.३२. 10. कि. 12. गा० स० 5-65.. . | क्रमोर्व० 1.19. . . . 55
SR No.004397
Book TitleSarasvatikanthabharanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1934
Total Pages894
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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