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________________ 118 : : नरभवदिठूतोवनयमाला पण सघलो वृत्तांत पोताना पिताने कहेबरावी जणाव्यो, तेनापिताए पण विश्वास खातर आ सघलो वृत्तांत भोजपत्रमा लखी लीधो // 11 // पच्चयकएणमच्चो, पइदिअहं सारवेइ अपमत्तो। नाओ य तीए पुत्तो, सुरिंददत्तो कयं नाम / / 12 // भावार्थ:-त्यारबाद मंत्री सावधानतापूर्वक ते गर्भनी तजवीज अने संभाल अहर्निश राखवा लाग्यो, कालक्रमे वखत आवता तेणीने पुत्र थयो, जेनुं नाम सुरेंद्रदत्त राखवामां आव्यु // 12 // तमि य दिणे पसूयाणि तत्थ चत्तारि ,चेव रूवाणि / अग्गियओ पव्वयओ बहली तह सायरयनामा // 13 // __ भावार्थ:-ते.ज़ दिवसे बीजा पण चार बालको जन्म्या, जेओनां नाम-अग्निदत्त, पर्वतक, बहली अने सागर एवा नाम राखवामां आव्या // 13 // उवणीओ पढणत्थं लेहायरियस्स सो अमच्चेणं / तेहिं चेडेहि समं कलाकलावं अहिज्जेइ // 14 // भावार्थ:-मंत्रीए सुरेंद्रदत्तने लेखाचार्य पासे भणवा माटे मोकल्यो. जे त्यां पाठशालामा जइ चार उपर कहेला चेटो (दासपुत्रो) साये तरेह तरेहनी कलाओनो अभ्यास करवा लाग्यो / / 14 / / .
SR No.004393
Book TitleNarbhavdrushtantopnaymala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1996
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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