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________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 499 पानी का रंग छाछ की आछ जैसा हो जाय-डाल देना चाहिये ताकि वह 24 पहर तक 'अचित्त' ही रहे / 8 जानने योग्य बातें(१) चार अथवा आठ पहर का पोषध करने वाले को उस दिन कम से कम एकाशन का तप तो अवश्य करना चाहिये। . (2) गुरु के योग में पोषध गुरुमुख से ही लेना चाहिये / - यदि देर होने के भय से स्वयं उच्चर ले तो भी बाद में राइमुहपत्तिपडिलेहणा के पूर्व फिर गुरुमुख से उच्चरना चाहिये। (3) पडिलेहणा उकडु पगों पर बैठ कर करनी चाहिये, उस समय बोलना न चाहिये, उत्तरासन रखना न चाहिये, जीवजन्तु की जयणा करनी चाहिये। (4) मुहपत्ति आदि पांच उपकरणों की पडिलेहणा स्थापना. चार्य की पडिलेहणा के पहले भी हो सकती है, परन्तु ___ "इच्छकारी भगवन् पसायकरी पडिलेहणा पडिलेहावो जी" इसके आगे की पडिहणाविधि स्थापनाचार्य की - प्रतिलेखना होने के वाद ही की जा सकती है। (5) पोषध में मध्याह्न का देववन्दन किये बगैर पच्चक्खान नहीं पारते /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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