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________________ . श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 405 के सुपुर्द था / इसके 4 सभ्य थे और घृतसंबन्धी कुल कार्य इनके स्वाधीन किया गया था। इस समिति ने करीब 700 मन ( बङ्गाली 80 रुपया भर के पक्के मन के हिसाब से 311 मन से कुछ अधिक घृत खरीदा और गर्म कर छान कर पीपों में भर रसोइ के गोदाम में रख दिया। (6) मसाला-समिति प्रतिष्ठा के मौके पर शाक तरकारियों में डालने के लिये मिर्च, हल्दी, धनियां, जीरा, नमक आदि जरूरी मसाले कुटवा पिसवा कर तैयार करने के लिये भी दो सभ्यों की एक समिति नियत की गयी थी, जिसने पक्की 10 मन मिर्च और इसके अनुसार ही जरूरी मसाला कुटवा पिसवा के तैयार करवाया। (7) घास चारा-समिति- . प्रतिष्ठा पर आने वाली बैलगाडियों के बैलों, घोडों, ऊटों और हाथियों के लिये जरूरी घास चारा इकट्ठा करने के लिये भी दो सभ्यों की एक समिति नियत की गयी थी। कुछ तो घास पञ्चों ने पहले खरीद लिया था तो भी वह कम मालूम होने से फिर घास खरीद कर करीब 500 सौ गाडियां घास और 1000 मन गुवारतरी (गुवार की भूसी ) और इससे
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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