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________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 379 गये हैं। पं० यति श्री भक्तिसोमजी भी जो अभी थोडे ही समय पर स्वर्गवासी हो गये हैं अच्छे तपस्वी यति थे। इस समय यहां भक्तिसोमजी के शिष्य सुमतिसोमजी यति रहते हैं। 2 पार्श्वनाथ का मंदिर यों तो गोल में भगवान् ऋषभदेव का मंदिर भी बड़ा है परन्तु पार्श्वनाथ का मंदिर जो ‘नया मन्दिर' के नाम से प्रसिद्ध है बडा आलीशान है / द्वार पर झरोखा, भीतर मण्डप, दूसरे खण्ड पर चौमुखजी और चारों तरफ विशाल जगती की वजह से मन्दिर की शोभा अधिक बढ़ गयी है। .. इस मंदिर की नींव विक्रम संवत् 1953 की साल में पड़ी थी और संवत् 1975 में यह संपूर्ण भी हो गया था, परन्तु प्रतिष्ठा जल्दी कराने का विचार होते हुए भी अनुकूल संयोग न मिलने से बातें करते करते 15 वर्ष व्यतीत हो गये। सच कहा है __ "वृक्षः फलति कालेन, काले धान्यं च जायते” अर्थात् 'समय आने पर वृक्ष फलता है और समय पर ही धान्य होता है / आखिर गोल के मंदिर की प्रतिष्ठा का समय भी आ पहुंचा। भांडुआ महावीरजी यात्रा जाते हुए पंन्यास श्री हिम्मतविमलजी गणि गोल पहुंचे और असेंसे तैयार हुए
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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