SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 389
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 370 5 पदसंग्रह . गुरु उपदेश पद सद्गुरु ने मोए भांग पिलाई, मोरी अखियोंमें आगई लाली, सद्गुरु०॥ भाव की भांग मरम की मिरची, शीयल की साफी बनाई / सद्गुरु ने० // 1 // क्रिया की कुण्डी ज्ञान का घोटा, घुटनवाला मेरा सांई। सद्गुरु ने० // 2 // ऐसी भांग पीवत सुघर नर, अजर अमर होइ जाई / सद्गुरु० // 3 // सद्गुरु कहत मेल मन ममता, मोक्ष महा निधि पाई / सद्गुरु ने // 4 // प्राणिप्रार्थना गौ-रोगनिकंदनकरनेहारा दूध अनोपम मैं देती, पछडे बछडी संतति मेरी जिसपर निर्भर है खेती / मरने पर भी चमड़ा मेरा तुम चरणोंका है प्राता, फिर मुझगोजातिका रक्षण क्यों नहीं करते हे भ्राता!॥१॥ चजवासी वह कानकनैया था प्यारा हम पालनहार, माणोंसे भी गौका त्राता था दिलीपक्षेत्रिय सरदार /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy