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________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 273 आपो ने शिवरमणीनो साथ, आपो प्रीत करीने रे / - मने तो मलियो० // 3 // सुलसादिक नवने आपे, जिनपद दीधुं व्हाला / चंदनवालानु काप्यु दुख, तेम अमारु कापो रे। . मने तो मलियो० // 4 // त्रिशलाना नंदन जिनजी, वीनति अवधारो व्हाला / प्रीतेथी खेंची ल्योने हाथ, नाथ मैं तमने धार्या रे / _ मने तो मलियो० // 5 // शामजी कहे छे व्हाला, वीर प्रभुना गुणनी राशि / गावाथी तरिये आ संसार, वात छे तेहज साची रे / . मने तो मलियो० // 6 // * श्रीमहावीरस्तवन वाला वीर जिनेश्वर जन्म-जरा निवारजो रे, प्यारा प्रभुजी प्रीते मुज शिर पर कर थापजो रे वा० // तीन रतन आपो प्रभु मुजने, खोट खजाने को नहीं तुजने / अरजी उर धरी कर्मकटक संहारजो रे। वाला० // 1 // कुमति डाकण वलगी मुजने, नमी नमी वीनQ हे प्रभु तुजने / ए दुखथी दूर करवा व्हेला आवजो रे / वाला० // 2 //
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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