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________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 183 अर्थात् रोगी का जन्म नक्षत्र और सूर्य नक्षत्र एकनाडी में हो तो जब तक सूर्य उस नक्षत्र पर रहेगा तब तक रोगी को कष्ट भोगना पडेगा। ___ रोगी का जन्म नक्षत्र और चंद्र नक्षत्र एक नाडी में हों तो रोगी को आठ पहर याने एक दिन-रात्रि का कष्ट कहना चाहिये। ___ अगर सूर्य अथवा चंद्र के अतिरिक्त दूसरे भी कर ग्रह उस वक्त उस नाडी पर बैठे हों तो रोगी का मरण हो। तात्पर्य यह है कि रोगी नक्षत्र और सूर्य नक्षत्र दोनों एक नाडी में हों और दूसरे भी करग्रह उस नाडी में हों तो रोगी का बचना कठिन है। ऊपर का विशेष विधान तीनों नाडी चक्रों के लिये समान है। खुलासा - त्रिनाडी चक्र देखना कुछ भी मुश्किल नहीं है, इसके लिये 27 नक्षत्रों के नाम जान लेना जरूरी है। सूर्य जिस नक्षत्र पर होता है वह रवि नक्षत्र अथवा 'रविया नक्षत्र' कहलाता है / सूर्य प्रायः १३-१४-दिन एक नक्षत्र पर रहता है / किस समय सूर्य किस नक्षत्र पर है यह पंचांगों में लिखा रहता है। चंद्रमा जिस नक्षत्र पर हो वह चंद्रनक्षत्र है इसी को दिन नक्षत्र भी कहते हैं, क्यों कि साधारण रीति से इस का भोग
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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