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________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 163 उदाहरण-सुरत के साथ सुपार्श्वनाथ का नामाजोडा मिलता है या नहीं इस की जांच करने पर मालूम हुआ कि सुरंत का राशि कुंभ है और सुपार्श्वनाथ का तुला / कुंभराशि से तुलाराशि नौवां है और तुला से कुंभ पांचवा इस लिये सुरत और सुपार्श्वनाथ के परस्पर नवपंचम राशिकूट है, परन्तु यह नवपंचम दूषित नहीं है, क्योंकि कुंभराशि-स्वामी शनि और तुलाराशि-पति शुक्र के आपस में मैत्री है। इस राशिस्वामि-मैत्री से राशिकूट नव पंचम का कुछ दोष नहीं। सुरत सुराणा या अन्य किसी भी ऐसे गाम या व्यक्ति के साथ कि जिसके नाम का प्रथम अक्षर 'स, सि, सु' इनमें से कोई भी अक्षर हो सुपार्श्वनाथ का नामाजोडा शुद्ध मिलता है यही कहना चाहिये। - वर्गवैर में अपवाद ऊपर कहा गया है कि वर्गवैर वर्जना चाहिये परन्तु वैर अन्योन्य पंचमवर्ग संबन्धी हो तभी वर्जित है' सामान्य नहीं। अन्योन्य पंचमवर्ग विषयक वैर होने पर भी यदि धनिक का वर्ग बलवान हो और देवका निर्बल तो वहां वर्गवैर आपत्तिजनक नहीं है। उदाहरण-गोल का वर्ग बिल्ली है और पार्श्व१ "वर्गवैरस्येतरेतरपञ्चमत्वरूपस्यैव वर्जनात्"। (धारणागतियन्त्राम्नाये) 2 "धनिकजिननामवर्गयोरितरेतरपञ्चमत्वं त्याज्यं, परं
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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