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________________ 160 . 5 विविध विचार है। यदि किसीका जन्म नक्षत्र मालूम न हो तो सभी बातें उस के प्रसिद्ध नाम से देखी जाती हैं। - तीर्थंकर भगवान् की नवीन मूर्ति बनवा कर अंजनशलाका प्रतिष्ठा करने में भी उपयुक्त छः ही बातों का विचार किया जाता है। ___यदि कोई व्यक्ति अपनी तरफ से मूर्ति बनबा कर प्रतिष्ठित कराता है तो उस के नाम और तीर्थकर भगवान के नाम से उक्त छः बातें देखी जाती हैं और संघ की तरफ से मूर्ति की प्रतिष्ठा होती है तो उस गांव के नाम से उक्त बातों का मेल जोल देखा जाता है। ऊपर हमने जिन छः बातों की शुद्धि होने की बात कही है उन में से योनि, गण, राशि और वर्ग इन चार बातों में कुछ अपवाद भी कहे हुए हैं, जो अवश्य जानने और ध्यान में 1 “तत्र यस्य धनिकस्य जिनस्येव जन्मनक्षत्रं ज्ञायते तस्य जन्मनक्षत्रेण योनिगणराशय एवं नाडिवेधश्च विलोक्यो न तु वर्गलभ्ये / वर्गयोरितरेतरपंचमत्वं मिथो लभ्यं देयं च जिनस्येव तस्यापि प्रसिध्धेनैव नाम्ना विलोक्यम् / जन्मनक्षत्राऽ परिशाने तु तस्य योन्याद्यपि सर्व प्रसिध्धेनैव नाम्ना विलोक्यम् / " . ( धारणागतियन्त्राम्नाये.) 2 “योनिगण-राशिभेदा लभ्य वर्गश्च नाडिवेधश्च / नूतनबिम्बविधाने, षड्विधमेतद्विलोक्यं जैः // 1 // " . (धारणागतियंत्राम्नाये)
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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