SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 125 श्लोक, तथा नियुक्ति की टीका 22500 हरिभद्रकृत है। ताडपत्रीय सूची में विशेषावश्यकभाष्य पाक्षिक सूत्र और इन की टीका आदि मिला कर आवश्यकसूत्र का श्लोक प्रमाण 128650 लिखा है। विशेषावश्यक भाष्य (२)-यह सूत्र आवश्यक का विशेष भाष्य है / मूल भाष्य 5000 जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणकृत है / लघुवृत्ति 14000 श्लोक की ग्रंथ के अंत में कोटयाचार्यकृत लिखी है और सूची में द्रोणाचार्य का नाम लिखा है। बडी वृत्ति मल्लधारी हेमचंद्र कृत 28000 श्लोक प्रमाण है। पक्खीसूत्र (३)-मूल श्लोक 360, टीका संख्या 1180 में यशोदेवमूरिने की है जिस के श्लोक 2700 हैं, चूर्णि 400 श्लोक हैं। ___ यतिप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति (४)--श्लोक 600 है। : 2 दशवैकालिक-इस में साधु जीवन के नियम लिखे हैं। यह शय्यंभवसरिकृत है। मूल श्लोक 700 (750) / अध्ययन 10 / वृत्ति तिलकाचार्यकृत श्लोक 7000 / दूसरी वृत्ति हरिभद्रसरिकृत श्लोक 6810, तथा मलयगिरिकृत वृत्ति श्लोक 7700 / चूर्णि 7500 / लघुवृत्ति 3700 / नियुक्ति गाथा 450 / लघुटीका सोमसुंदरसूरि कृत 4200 / दूसरी टीका उपाध्याय 1 ताडपत्रीय सूची में पाक्षिक सूत्र श्लोक 300 और बृत्ति 3000 श्लोक की लिखी है /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy