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________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 115 ऊपर दिये हुए कल्याणको में जाप नीचे मुजब करना चाहिये। ' च्यवन कल्याणक के दिन कल्याणक वाले तीर्थंकर के नाम के साथ 'परमेष्ठिने नमः' जपना चाहिये / जन्म कल्याण के दिन 'अर्हते नमः' दीक्षा कल्याणक के दिन 'नाथाय नमः' केवलज्ञान के दिन 'सर्वज्ञाय नमः' और मोक्षकल्याणक के दिन 'पारंगताय नमः' का जाप करना चाहिये। 5 विविध विचार (1) वर्तमान जैनागम-परिचय विद्यमान पैंतालीस सूत्रों के नाम तथा उनकी मूल श्लोकसंख्या और हरएक सूत्र पर भिन्न भिन्न आचार्यों की बनाई हुई बृहद्वृत्ति, लघुवृत्ति, चूर्णि, नियुक्ति और भाष्य विगैरह के श्लोकों की संख्या का प्रमाण नीचे मुजब दिया जाता है। 11 ग्यारह अंग सूत्र 1 आचारांग सूत्र-इस में साधुओं के आचार का वर्णन है / इस के अध्ययन 25, मूलश्लोक 2500, शीलांगाचार्य की टीका 12000, चूर्णि 8300 तथा भद्रबाहु स्वामिकृत नियुक्ति की गाथा 368, श्लोक 450, भाष्य तथा लघुवृत्ति नहीं है, सर्वसंख्या 23250 है। 2 सूयगडांग सूत्र-इस में पाखंडियों का वर्णन जुदे जुदे सांख्य बौद्ध आदि दर्शनों की चर्चा और उपदेश है / इस के
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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