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________________ 902 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि देसा सीया देसे उसिणे देसे गिद्धे देसे लुक्खे 4, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे गिद्धे देसे लुक्खे 4, एए चत्तारि चउक्का सोलस भंगा, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे णिद्ध देसे लुक्खे, एवं एए गरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पुहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे गिद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा कायव्वा, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे गिद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा कायव्वा, सव्वेऽवि ते चउटूि भंगा कक्खडमउहि एगत्त. एहि, ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तेणं एए चउट्टि भंगा कायव्वा ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मउएणं.एगत्तएणं चउट्टि भंगा कायव्वा, ताहे एएहि चेव दोहिवि पुहुत्तेहिं चउढि भंगा कायव्वा जाव, देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा णिद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो, सव्वेते अट्ठफासे दो छप्पण्णा भंगसया भवंति। एवं एए बायरपरिणए अणंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु बारस छण्णउया भंगसया भवंति // 668 // कइविहे गं भंते ! परमाणू प० ? गोयमा ! चउबिहे परमाणू प०, तं०-दव्वपरमाणू , खेत्तपरमाणू , कालपरमाणू, भावपरमाणू / दव्वपरमाणू णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! चउन्विहे प०, तं०-अच्छेज्जे अभेज्जे, अडझे, अगेज्झे / खेत्तपरमाणू णं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! चउन्विहे प०, तं०-अणद्धे, अमज्झे, अपएसे, अविभाइमे / कालपरमाणू पुच्छा, गोयमा ! चउन्विहे प०, तं०-अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे / भावपरमाणू गं भंते ! कइविहे प० ? गोयमा ! चउविहे प०, तं०-वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ // 666 // वीसइमं सयं छट्ठो उद्देसो पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पमाए य सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! कि पुदिव उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा पुदिव आहारित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुटिव वा उववज्जित्ता० एवं.जहा सत्तरसमसए छठुद्देसे जाव से तेण→णं गोयमा! एवं वच्चइ-पुचि वा जाव उववज्जेज्जा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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