SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अंग-पविट सुत्ताणि पडुप्पण्णं वा सासयं समयं अणागयमणं तं वा सातयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सब्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सम्वे ते उप्पण्णणापदंसणधरा अरहा जिणा केवली भक्त्तिा तओ पच्छा सिझंति जाव अंतं करेसति वा ? हंता गोयमा ! अतीतमणतं सासयं सभयं जाव अंतं करेस्संति वा। से पूर्ण भंते ! उप्पण्णणाणदं सणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोषमा ! उप्पण्यणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थुत्ति उत्तव्यं सिया / सेवं मंते ! सेवं भंते ! त्ति // 42 // पढमं सयं पंचमो उद्देसो कइ णं भंते ! पुढवीओ पण्णताओ ? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पग्णत्ताओ, तंजहा-रयणप्पला जाव तमतमा / इमीले गं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए कह णिरयावाससयसहस्सा 50 ? गोयमा ! तीसं णिरयावाससयसहस्सा प० / गाहा-तीसा य पण्णवीसा पण्णरस दसेव या सयसहस्सा / तिण्णेशं पंचूर्ण पंचेव अणूत्तरा णिरया // 1 // केवइया णं भंते ? असुरकुमारावाससयसहस्ता 50 ? एवं-चउसट्ठी असुराणं चउरासीई य होइ गागाणं / बावरि सुवण्णाणं वाउकुमाराण छग्णउई // 1 // बीवदिसाउदहीणं विज्ज कुमारिदणियमग्गीणं / छहंपि जुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा // 2 // केवइया णं भंते ! पुढविक्काइयावाससयसहस्सा 50 ? गोथमा ! असं खेज्जा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा 50, जाव असंखिज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा प० / सोहम्मे पं. भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा प० ? गोयमा! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा प०, एवं-बत्तीसट्ठावीसा बारस अट चउरो सयसहस्सा / पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे॥१॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चए तिण्णि / सत्त विमाणसवाई चउसुधि एएसु कप्पेसु // 2 // एक्कारसुत्तरं हेटिमेसु सत्तुत्तरं सयं च मज्झिाए / सयमेगं उवरिमए पंचेव अगुत्तरविमाणा // 3 // 43 // पुढवी टिइ ओगाहणसरीरसंचरणमेव संठाणे / लेस्सा दिट्ठी णाणे जोगुवओगे य दस ठाणा // 1 // इमीसे पं भंते ! रयणप्पभाए पुढयोए तीसाए णिरयावाससयसहस्सेसु एगमेंगंसि शिरसावासंसि रइयाणं केवइया ठिइठाणा प० ? गोयमा ! असंखज्जा ठिइठाणा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy