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________________ दसवेयालियसुत्तं चूलिया 1 1077 अहरगइ-वासोवसंपया 7, दुलहे खलु भो ! गिहीणं धम्मे गिहिवासमझे वसंताणं 8, आयंके से वहाय होइ 9, संकप्पे से वहाय होइ 10, सोवक्केसे गिहिवासे णिरुवक्केसे परियाए 11, बंधे गिहिवासे मुक्खे परियाए 12, सावज्जे गिहिवासे अणवज्जे परियाए 13, बहुसाहारणा गिहिणं कामभोगा 14, पत्तेयं पुण्णपावं 15, अणिच्चे खलु भो ! मणुयाण जीविए कुसग्गनलबिंदुचंचले 16, बहुं च खलु भो! पावं कम्मं पगडं 17, पावाणं च खलु भो ! कडाणं कम्माणं पुट्विं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं वेइत्ता मुक्खो गस्थि अवेइत्ता तवसा वा झोसइत्ता 18 अट्ठारसमं पयं भवइ / भवइ य इत्थ सिलोगो-जया य चई धम्मं, अणज्जो भोगकारणा। से तत्थ मुच्छिए बाले, भायइं णावबुज्झई // 1 // जया ओहाविओ होइ, इंदो वा पडिओ छमं / संवधम्मपरिब्भट्ठो, स पच्छा परितप्पई // 2 // जया य वंदिमो होइ, पच्छा होइ अवंदिमो / देवया व चुया ठाणा, स पच्छा परितप्पई // 3 // जया य पूइमो होइ, पच्छा होइ अपूइमो / राया व रजपन्भट्ठो, स पच्छा परितप्पई // 4 // जया य माणिमो होइ, पच्छा होइ अमाणिमो। सेटिव्व कब्बडे छूढो, स पच्छा परितप्पई // 5 // जया य थेरओ होइ, समइक्कंतजुव्वणो। मच्छुव्व गलं गिलित्ता, स पच्छा परितप्पई // 6 // जया य कुकुडंबस्स, कुतत्तीहि विहम्मई। हत्थी व बंधणे बद्धो, स पच्छा परितप्पई // 7 // पुत्तदारपरिकिण्णो, मोहसंताणसंतओ। पंकोसण्णो जहा णागो, स पच्छा परितप्पई // 8 // "अज याहं गणी हुँतो, भावियप्पा बहुस्सुओ / जइ हं रमंतो परियाए, सामण्णे जिणदेसिए" // 9 // देवलोगसमाणो य, परियाओ महे सिणं / याणं अरयाणं च, महाणरयसारिसो // 10 // अमरोवमं जाणिय सुक्खमुत्तम, रयाण परियाए तहारयाणं / णिरओवमं जाणिय दुक्खमुत्तम, रमिज तम्हा परियाए पंडिए // 11 // धम्माउ भट्ट सिरिओववेयं, जण्णग्गि विज्झायमिवप्पतेयं / हीलंति णं दुध्विहियं कुसीला, दादुट्टियं घोरविसं व णागं. // 12 // इहेवऽधम्मो अयसो अकित्ती, दुण्णामधिज्जं च पिहुजणम्मि / चुयस्स धम्माउ अहम्मसेविणो, संभिण्णवित्तस्स य हिट्ठओ गई // 13 // भुंजितु भोगाई पसज्झ चेयसा, तहाविहं कटु असंजमं बहुं / गई च गच्छे अणहिन्दियं दुहं, बोही व से णो सुलंह। पुणो पुणो // 14 // "हमस्स ता णेरइयस्स जंतुणो, दुहोवणीयस्स किलेसवत्तिणो / पलिओवमं झिज्झइ सागरोवमं, किमंग पुण मज्झ इमं मणोदुहं ? // 15 // ण मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सइ, असासया भोग पिवास जंतुणो / ण चे
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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