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________________ दसासुयक्खंधो द. 10 1035 वहुजणस्स णेयारं, दीवं ताणं च पाणिणं / एयारिसं परं हता, महामोहं पकुव्वइ // 21 // उट्टियं पडिविरयं, संजयं सुतवस्सियं / विउक्कम्म धम्माओ भंसेइ, महामोहं पकुव्वइ // 22 // तहेवाणतणाणीणं जिणाणं वरदं सिणं / तेसिं अवण्णवं बाले, महामोहं पकुव्वइ / / 23 // णेया(इ)उयस्स मग्गस्स, दुढे अवयरई बहं, तं तिप्पयंती भावेइ, महामोहं पकुव्वद // 24 // आयरियउवज्झाए हिं, सुयं विणयं च गाहिए / ते चेव खिंसद बाले, महामोहं पकुव्वइ / / 25 // आयरियउवज्झायाणं, सम्मं णो पडितप्पइ / अप्पडिपूयए थद्धे, महामोहं पकुव्वइ // 26|| अबहुस्सुए य जे केइ, सुएण पविकथिइ / सज्झायवायं वयइ, महामोहं पकुव्वइ // 27 // अतवस्सी[ए] य जे केइ, तबण पविकत्थइ / सव्वलोएपरे तेणे, महामोहं पकुव्वइ / / 28|| साहारणट्टा जे केइ, गिलाणम्मि उवट्ठिए / पभू ण कुणइ किच्चं, मझंपि से ण कुव्वइ // 29 // सढे णियडीपण्णाणे, कलुसाउलचेयसे | अप्पणो य अबोहीए, महामोहं पकुत्वह // 30 // जे कहाहिगरणाई, संपउंजे पुणो पुणो / सव्वतिन्थाण भेयाणं, महामोहं पकुव्वइ // 31 // जे य. आम्मिए जोए, संपउंजे पुणो पुणो / सहाहेउं सहीहेडं, महामोहं पकुवइ // 32 // जे य माणुस्सए भोए, अदुवा पारलोइए / ते तिप्पयंतो आसयइ, महामोहं पकुव्वइ / / 33 // इड्दी जुई जसो वण्णो, देवाणं बल. बीरियं / तेसिं अवण्णवं बाले, महामोहं पकुव्वइ // 34 // अपस्समाणो पस्सामि देवजवखे य गुज्झगे | अण्णाणी जिणपूयट्टी महामोहं पकुवाइ // 35 // एए मोहगुणा वृत्ता, कम्मंता चित्तवद्धणा / जे उ भिक्खू विवज्जेजा, चरिजत्तगवेसए // 36 // जंपि जाणे इओ पुव्वं, किच्चाकिच्चं बहुजदं / तं वंता ताणि सेविजा, जेहिं आयारखं सिया // 37|| आयारगुत्तो सुद्धप्पा, धम्मे ठिच्चा अणुत्तरे। तओ वमे सए टोसे. विसमासीविसो जहा // 38 // सुचत्तदोसे सुद्धप्पा, धम्मट्ठी विदितापरे / इहेव लभए कित्ति, पेचा य सुगई वरं // 39 // एवं अभिसमागम्म, सूरा दढपरव मा। सव्यमोहविणिम्मुक्का, जाइमरणमइच्छिया // 40 // त्ति-बेमि // मोहणिज्जठाणणामं णवमा दसा समत्ता // 9 // दसमा दसा तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णाम णयरे होत्था,वण्णओ। गुणसिलए चेइए, रायगिहे णयरे सेणिए राया होत्था, रायवण्णओ एवं जहा उववाइए जाब चेल
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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