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________________ णिसीहसुत्तं उ. 7 असियं वा भगंदलं वा अण्णयरेणं तिक्खेणं सत्थजाएणं अच्छिदित्ता विच्छिदित्ता णीहरित्ता विसोहेत्ता उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपित्ता विलिंपित्ता तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा अभंगेज वा मक्खेज वा अभंगेत वा मवर्खेतं वा साइजइ // 37 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणबडियाए अण्ण मण्णस्स कार्यसि गंडं वा पिलयं वा भरइयं वा असियं वा भगंदलं वा भण्णयरेणं तिवखेणं सत्थजाएगं अच्छिदित्ता विच्छिदित्ता णीहरेत्ता विसोहेत्ता उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपेत्ता अभंगेत्ता अण्णयरेणं धूवणजाएणं धूवेज्ज वा पधूवेज्ज वा धूतं वा पधूवैतं वा साइजइ // 38 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स पालुकिमियं वा कुच्छिकिमियं वा. अंगुलीए णिवेसिय 2 णीहरइ णीहरंतं वा साइज्जइ // 39 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेंहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाओ णहसिहाओ कम्पेज्ज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ // 40 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई वत्थीरोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ // 41 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमंण्णस्स दीहाइं चक्खुरोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ // 42 // जे भिक्खू माउन्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णरस दीहाई मंघरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्पेतं वा संटवेतं वा साइजइ // 43 // जे भिक्खू माउंग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई कसरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेतं वा साइजइ // 44 // जे भिक्ख माउग्गामस्स मेहुणबडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई मंसुरोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्पेतं वा संठवेत वा साइजइ // 45 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाइं केसाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्पेतं वा संठवेतं वा साइजह // 46 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दहाई कण्णरोमाइं क पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेतं वा साइजइ // 47 / / जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाइं णासारोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेतं वा साइजइ // 48 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दंते आघंसेज वा पघंसेज वा आघंसंतं वा पघंसंतं वा साइज्जइ // 49 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दंते उच्छोलेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ // 50 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण.
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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