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________________ . 930 अनंगपविट्ठसुत्ताणि वा पलिस्सएजा, तं च णिग्गंथे साइज्जेजा, मेहुणपडिसेवणपत्ते आवाइ चाउम्मा. सिय परिहारहाणं अगुग्घाइयं // 15 ॥णो कप्पइ णिगंथाण वा णिग्गंथीण वा असणं वा 4 पदमाए पोरिसीए पडिग्गाहेत्ता पच्छिमं पो रसिं उवाहणावेत्तए, से य आहच्च उवाइणाविए सिया, तं णो अप्पणा भुंजेजा णो अण्णेसिं अणुप्पदेजा,एगंते बहुफासुए थण्डिले पडिलेहित्ता पमाज्जत्ता परिट्टवेयव्वे सिया, तं अप्पणा भुंजमाणे अण्णेसिं वा दलमाणे आवजह चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाइयं // 16 // णो कप्पाणिग्गंथाण वा णिग्गीण वा असणं वा 4 परं अद्धजोयणमेराए उवाइणावेत्तए, से य आहश्च उवाइणाविए सिया, तं णो अप्पणा भुंजेजा णो अण्णेसिं अणुप्पदेडा, एगते बहुफासुए थण्डिले पडिले हिता पमज्जित्ता परिटवेयवे सिया, तं अप्पणा भुजमाणे अण्णेसिं वा दलमाणे आवजइ चाउम्मासिंयं परिहारहाणं उघाइयं // 17 // णिग्गंथेण य गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुप्यविटेणं अण्णयरे अचिच अणेसणिज्जे पाणभोयणे पडिग्गाहिए सिया,अस्थि या इत्थ केह सेहतराए अणुवट्ठावियए,कप्पइ से तस्स दाउं वा अणुप्पदाउं वा, णत्थि या इत्थ केइ सेहतराए अणुवट्ठावियए तं णो अप्पणा भुंजेजा णो अण्णेसिं दावए एगते बहुफासुए थण्डिले पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिट्टवेयव्वे सिया // 18 // जे कडे कप्पद्वियाणं कप्पइ से अकप्पट्टियाणं; णो से कप्पइ कप्पट्टियाणं जे कडे अकप्पट्टियाणं णो से कप्पद कम्पट्टियाणं, कप्पड़ से अकप्पट्टियाणं, कप्पेट्ठिया कप्पट्टिया, अकप्पे ठिया अकप्पट्ठिया // 19 // भिक्खू य गणाओ अवकम्म इच्छेजा अण्णंगणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्यिसा आयरियं वा उवज्झायं वा पवत्तिं वा थेरं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं उसंपज्जित्ता विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए,ते य से वियरेजा एवं से कप्पइ अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से णो वियरेजा,एवं से णो कप्पइ अण्णं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरिसए // 20 // गणावच्छेइए य गणाओ अबकम्म इच्छेजा भण्णं गणं उसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, णो कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अणिक्खिवित्ता अण्णं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ गणावच्छे इयस्स गणावच्छेइयत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छिता आयरियं वा जाव गणाधच्छे इयं अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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