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________________ - पुफियाओ अ. 4 871 भासामणपजत्तीए, एवं खलु गोयमा ! बहुपुत्तियाए देवीए सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमण्णागया // 1.28 // से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-बहुपुत्तिया देवी 2 ? गोयमा ! बहुपुत्तिया णं देवी जाहे जाहे सक्कस्स देविंदम्स देवरण्णो उवत्थाणियणं करेइ ताहे 2 बहवे दारए य दारियाओ य डिम्भए य डिम्भियाओ य विउव्वह 2 त्ता जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविढेि दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-बहुपुत्तिया देवी 2 / बहुपुत्तियाए णं भंते ! देवीए केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाइं टिई पण्णत्ता। बहुपुत्तिया णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवनखएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छेिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेलसंणिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिइ // 129 // तंए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते जाव बारसेहिं दिवसेहिं वीइक्कतेहिं अयमेयारूवं णामघेज्जं करेंति-होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए णामधेज्जं सोमा // 130 // तए णं सोमा उम्मुक्कबालभावा विण्णयपरिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाव भविस्सइ / तए णं तं सोमं दारियं अम्मापियरो / उम्मुक्कबालभावं. विण्णयपरिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिकूविएणं सुक्केणं पडिरूवएणं .णियगस्स भाइणेजस्स रटकूडस्स भारियत्ताए दलइस्सइ / सा णं तस्स भारिया भविस्सइ इट्टा कंता जाव भण्डकरण्डगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपे(ला)डा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरण्डगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं जाव विविहा रोगायंका पुसंतु // 131 // तए णं सा सोमा माहणी रडकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणी संवच्छरे 2 जुयलगं पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयायइ / तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारेहि य कुमारियाहि य डिम्भएहि य डिम्भियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज एहि य अप्पेगइएहिं थणियाएहि य अप्पेगइएहिं पीहगपाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहिं अप्पेगइएहिं परक्कममाणेहि अप्पेगइएहिं पक्खोलणएहि अपेगइएहिं थणं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं खरं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खेलणयं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं खजगं मग्गमाणेहि अप्पेगह
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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