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________________ 502 अनंगपविट्ठसुत्ताणि पप्प, पम्हलेसा सुक्कलेसं पप्प जाव भुजो 2 परिणमइ / / 505 // से णूणं भंते ! कण्ह. लेसा णीललेसं काउलेस तेउलेसं पम्हलेसं सुक्कलेस पय तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमइ ! हंता गोयमा!कण्हलेसा णील. लेसं पाप जाव सुक्कलेसं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारपत्ताए ताफासत्ताए भुबो 2 परिणमइ / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'कण्हलेसा णीललेसं जाव सुक्कलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमई' ? गोयमा ! से जहाणामए वेरुलियमणी सिया कण्हसुत्तए वा णीलसुत्तए वा लोहियसुत्तए वा हालिद्दसुत्तए वा सुबिल्लसुत्तए वा आइए समाणे तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-'कण्हलेसा णीललेसं जाव सुक्कलेनं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमह // 506 / / से पूर्ण भंते ! णीललेसा किण्हलेसं जाव सुक्कलेसं पप्य तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ ! हंता गोयमा! एवं चेव, काउलेसा किण्हलेसं णीललेसं तेउलेसं पम्हलेसं सुक्कलेसं, एवं तेउलेसा किण्हलेसं णीललेसं काउलेसंप्रम्हलेसं सुक्कलेसं, एवं पम्हलेसा किण्हलेसं णीललेसं काउलेसं तेउलेसं सुक्कलेसं पप्प जाव भुजो 2 परिणमइ ?हंता गोयमा! तं चेव / से गुणं भंते ! सुक्कलेसा किण्हलेसं णीललेसं काउलेम तेउलेसं पम्हलेसं पप्प जाव भुजो 2 परिणमइ ? हंता गोयमा! तं चेव / / 507 // कण्हलेस्सा णं भंते ! वण्णेणं केरिसिया पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए जीमूए इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कजले इ वागवले इ वागवलवलए इवा जंबूफले इ वा अद्दारिट्ठपुप्फे इ वा परपुढे इ वा भमरे इ वा भमरावली इ वा गयकलभे इ वा किण्हकेसरे इ वा आगासथिग्गले इ वा किण्हासोए इ वा कण्हकमवीरए इ वा कण्हबंधुजीवए इ वा, भवे एयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे समढे, कण्हलेसा णं इत्तो अणिद्वतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता // 508|| णीललेस्सा णं भंते ! केरि सिया वण्णणं पण्णता ? गोयमा ! से जहाणामए भिंगए इ वा भिंगपत्ते इ वा चासे इ वा चास. पिच्छए इ वा सुए इ वा सुयपिच्छे इ वा सामा इ वा वणराई इ वा उच्चतए इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलहरवसणे इ वा अयसिकुसुमे इ वा वणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा णीलुप्पले इ वा णीलासोए ई वा णीलकणवीरए इ वा णीलबंधुजीवे इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे समझे एजो जाव अमणामयरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता // 509 // काउलेस्सा णं भंते ! केरि सिया वण्णणं
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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