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________________ बीओ उद्देसो इंदियउवचय 1 णिवत्तणा 2 य समया भवे असंखेजा 3 / लद्धी 4 उवा. गद्धं 5 अप्पाबहुए विसेसाहिया 6 // ओगाहणा 7 अवाए 8 ईहा 9 तह वंजमोमगहे 10 चेव / दविंदिय 11 भाविदिय 12 तीया बद्धा पुरक्खडिया // कइविहे णं भंते ! इंदियउवचए पण्णत्ते 1 गोयमा! पंचविहे इंदियउवचए पण्णत्ते / तंजहासोइंदियउवचए, चविखदियउवचए घाणिदियउवचए, जिभिदियउवचए, फासिंदियउवचए / णेरइयाणं भंते ! कइविहे इंदिओवचए पण्णत्ते ! गोयमा! पंचविहे इंदिओवचए पण्णत्ते / तंजहा-सोइंदियउवचए जाव फासिदियउवचए, एवं जाव वेमाणियाणं / जस्स जह इंदिया तस्स तइविहो चेव इंदियउवचओ भाणियव्य 1 / कइविहा णं भंते ! इंदियणिवत्तणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा इंदियणिव्यत्तणा पणत्ता / तंजहा-सोइंदियणिव्वत्तणा जाव फार्सिदियगिव्वत्तणा / एवं णेरइयाण जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि 3 / सोइंदियणिव्वत्तणा णं भंते ! कइसमइया पण्णत्ता ? गोयमा! असंखिजइसमइया अंतोमुहुत्तिया पण्णत्ता, एवं जाव फासिंदियणिव्वत्तणा / एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 3 / कइविहा णं भंते ! इंदियलद्धी पण्णत्ता 1 गोयमा! पंचविहा इंदियलद्धी पण्णत्ता / तंजहा-सोईदियलद्धी जाव फार्सिदियलद्धी / एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि तस्स तावइया भाणियव्वा 4 / कइविहा णं भंते ! इंदियउवओंगद्धा पण्णत्ता ? गोयमा!पंचविहा इंदियउवओगद्धा पण्णत्ता। तंजहा-सोइंदियउवओगद्धा जाव फासिदियउवओगद्धा / एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि० 5 // 447 // एएसि णं भंते ! सोइंदियचक्खिदियघाणिदिय जिभिदियफासिंदियाणं जहण्णयाए उवओगद्धाए उक्कोसियाए उवओगद्धाए जहण्णुक्कोसियाए उवओगद्धाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा 41 गोयमा! सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स जहणिया उवओगद्धा, सोइंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, घाणिदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, जिभिदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फासिंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, उक्को. सियाए उवओगद्धाए-सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा, सोइंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, घाणिंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, जिभिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फासिंदियरस
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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