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________________ ओववाइयसुत्तं महाणइंओगाहेति रत्ता वालुयासंथारयं संथरंति 2 त्ता वालुयासंथारयं दुरुहिंति 2 त्ता पुरत्थाभिमुहा संपलियंकणिसण्णा करयल जाव कट्ठ एवं वयासी-णमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, णमोऽत्यु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स, पुविं णं अम्हे अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पञ्चक्खाए जावजीवाए थूलए मुसावाए थूलए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावजीवाए सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावजीवाए थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावजीवाए इयाणिं अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामो जावजीवाए एवं जाव सव्वं परिम्गहं, पच्चक्खामो जावजीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेजं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्ण परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादंसगसल्लं अकरणिजं जोगं पञ्चक्खामो जावजीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउन्विहंपि आहारं पच्चक्खामो जावजीवाए जंपि य इमं सरीरं इटुं कंतं पियं मणुण्णं मणामं थेजं (पेज) वेसासियं संमयं बहुमय अणुमयं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइयपित्तियसंणिवाइयं विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकटु एयंपि णं चरमेहिं ऊसासणीसासेहिं वोसिरामित्तिकटु संलेहणाझुसणाझूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाओवगया कालं अणवकंखमाणा विहरंति, तए णं ते परिव्वाया बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति छेदित्ता आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कम्पे देवत्ताए उर्ववण्णा, तहिं तेसिं गई दससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव 13 // 38 // बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं परूवेइ एवं खलु अंबडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ; से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जणं से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं * एसमठे, अहंपि णं गोयमा! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि-एवं खलु अम्मडे परिवायए जाव वसहिं उवेइ / से केणढेणं भंते ! एवं बुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उवेइ ? गोयमा ! अम्मडस्स णं परिव्वाययस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाओ पगिज्झिय 2
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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