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________________ पण्णवणासुत्तं प० 3 361 वियाणतो / ण चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए // 17 // इय सिद्धाणं सोक्ख अणोवमं णत्थि तस्स ओवम्मं / किंचि विसेसेणित्तो सारिक्खमिणं सुणह वोच्छं // 18 / / जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोइ / तण्हाछुहाविमुक्को अच्छिज जहा अमियतित्तो // 19 // इय सव्वकालतित्ता अउलं णिव्वाणमुवगया सिद्धा / सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता // 20 // सिद्धत्ति य बुद्धत्ति य पारगयत्ति व परंपरगयत्ति / उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 21 // णित्थिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का / अव्वाबाहं सोक्खं अणुहुंती सासयं सिद्धा // 22 // 136 // पण्णवणाए भगवईए बीयं ठाणपयं समत्तं॥ - तइयं बहुवत्तव्वयपयं दिसि-गइ इंदिय-काए जोए वेए कसाय-लेसा य / सम्मत्त-णाण-दंसण-संजय-उवओगआहारे // 1 // भासग-परित्त-पजत्त-सुहुम-सण्णी भवऽस्थिए चरिमे / जीवे य खित्तबंधे पुग्गलमहदंडए चेव // 2 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा जीवा पच्छिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया // 137 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविक्काइया दाहिणेणं, उत्तरेणं विसेसाहिया, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, पच्छिमेणं विसेसाहिया। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा आउक्काइया पच्छिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउक्काइया दाहिणुत्तरेणं, पुरच्छिमेणं संखेजगुणा; पच्छिमेणं विसेसाहिया / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउक्काइया पुरच्छिमेणं, पच्छिमेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पच्छिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया // 138 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा बेइंदिया पच्छिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दक्खिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया पच्चत्थिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा चउरिंदिया पञ्चत्थिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया // 139 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा णेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा। दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा रयणप्पभापुढवीणेरइया पुरच्छिमपच्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणणं असंखेज्जगुणा / .
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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