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________________ . जीवाजीवाभिगमे प० 5 गणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई, एवं सव्वेसिं ठिई णेयव्वा, ससकाइयस्स जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तगाणं सव्वेसिं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तणा कायव्वा // 227 // पुढविकाइए णं भंते ! पुढविकाइएत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं असंखेजं कालं जाव असंखेजा लोया / एवं जाव आउ० तेउ० वाउक्काइयाणं वणस्सइकाइयाणं अणंतं कालं जाव आवलियाए असंखेजइभागो॥तसकाइए णं भंते !0 जहण्णेणं अंतोमु० उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेजवासमब्भहियाई। अपजत्तगाणं छण्हवि जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तगाणं-'वाससहस्सा संखा पुढविदगाणिलतरूण पजत्ता / तेऊ राइंदिसंखा तससागरसयपुहत्ताई // 1 // ' पजत्तगाणवि सव्वेसिं एवं // पुढविकाइयस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं वण'फइकालो, एवं आउतेउवाउकाइयाणं वणस्सइकालो, तसकाइयाणवि, वणस्सइकाझ्यस्स पुढविकालो, एवं अपजत्तगाणवि वणस्सइकालो, वणस्सईणं पुढविकालो, पजत्तगाणवि एवं चेव वणस्सइकालो, पजत्तवणस्सईणं पुढविकालो // 228 // अप्पाबहुयं-सव्वत्थोवा तसकाइया तेउक्काइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउक्काइया विसेसाहिया वणस्सइकाइया अणंतगुणा एवं अपजत्तगावि पजत्तगावि // एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा एवं जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपजत्तगा पुढविकाइया पजत्तगा संखेजगुणा,एएसि णं भंते! आ० सव्वत्थोवा आउक्काइया अपजत्तगा पजत्तगा संखेजगुणा जाव वणस्सइकाइया. सव्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा // एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं जाव तसकाइयाणं पजत्तगअपजत्तगाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 41 गो.! सव्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा, तसकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा, तेउकाइया अपजत्ता असंखेजगुणा, पुढविक्काइया आउक्काइया वाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया, तेउक्काइया पजत्तगा संखेजगुणा, पुढविआउवाउपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सइकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा, सकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया, वणस्सइकाइया पजत्तगा संखेजगुणा, सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया // 229 // सुहुमस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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