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________________ अनंगपविटुसुत्ताणि राईसरतलवरमाडंबियकोडुबियइन्भसेठिसेणावइसत्थवाहपभिइओ अप्पेगइया वंदणवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तियं एवं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं अप्पेगइया अहविणिच्छयहेउं अस्सुयाइं सुणेस्सासो सुयाइं णिस्संकियाई करिस्सामो अम्पेगइया अट्ठाई हेऊई कारणाई वागरणाइं पुच्छिस्सामो / अप्पेगइया सव्वओ समंता मुण्डे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सामो, पंचाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजिस्सामो,अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया जीयमेयंतिकटु ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोऊयमंगलपायच्छित्ता सिरसाकंठेमालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तयसुकयसोहाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदोलित्तगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया(जाणगया जुग्गगया गिल्लीगया थिल्लीगया पवहणगया)सिवियागया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहारचारिणो पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता (वग्गावग्गिं गुम्मागुम्मि)महया उक्किटिठसीहणायबोलकलकलरवेणं पक्खुब्भियमहासमुद्दरवभूयंपिव करेमाणा (पायदद्दरेणं भूमि कंपेमाणा अंबरतलमिवफोडेमाणा एगदिसिं एगाभिमुहा) चंपाए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छंति 2 त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति २त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता जाणवाहणाई ठावइंति२ त्ता जाणवाहणेहितो पच्चोरुहंति पच्चोरुहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति करित्ता वंदति णमंसंति वंदित्ता णमंसित्ता णचासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति // 26 // तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हद्दतुह जाव हियए हाए जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमित्ता चंपाणयरिं मज्झमज्झेणं जेणेव बाहिरिया सव्वेव हेट्ठिला वत्तव्वया जाव णिसीयइ णिसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्धतेरससयसहस्साई पीइदाणं दलयडू 2 त्ता सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ // 27 // तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, हयगयरहपवरजोहकलियं च चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएक्कपाडिएक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उववेह, चंपं
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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