________________ भोजनविधिः [81] सूवगहणेण गहिता वंजणभेदा उ जत्तिया लोए / ओदणगहणणं पुण सत्तविहो ओदणो गहियो 730 जोत जवण्णं भण्णति तिन्नि तु मंसाणि जलयरादीणं। गोरसो खीरादीउ मुग्गपडोलादि जूसो तु // 731 // भक्ख विहि उल्लमुक्का गुलकन तह लावणी त बोद्धव्वा / मूलग अल्लगमादिमूलं अंबादि फलगं तु // हरितग मूलकुढेरगभूयणगादी य होति णायव्यो / डागो य गोरसकओ पजेवणादी बहुविहाणो // 733 // दो घतपला महुपलं दहिस्स अद्धाढयं मरिय वीसा। खंड तुलादसभागो एस रसालू णिवइजोगो // 734 // खंड तुलादसभागो दस खंडपला हवंति णायव्वा / ते तम्मि पक्खिवित्ता मजिय णामं रसालोत्ति 735 पाणं मज्जविहीओ पाणीयं धारपाणियादीयं / दक्खादिपाणगाइं सागणं वंजणा जे तु // 736 // एवं अट्ठारसहा णिरुवहतो दड्ढगादिपरिहीणो। ण य उवहम्मति जेणं रसादि छूढेण दवणं // 737 // परिसुकं दाहिणतो दवाणि सव्वाणि वामतो कुज्जा। णिद्धमहुराणि पुवं मज्झे अंबं दवंताणि // 738 //